नया वर्ष

0 0
Read Time3 Minute, 26 Second

babulal sharma
न जाने कितने गये,आएँगे फिर से नए,
इंसान बस  मनाता, कब  से  सु वर्ष है।

रीत प्रीत और गीत,शासन व सत्ता नीति,
मानवीय  हित  साध,  अब  से  सहर्ष  है।

आन बान मय शान, देश भक्ति अरमान,
मानवता  का सम्मान, जन से  उत्कर्ष है।

विकास के भरम में,विज्ञान के चरम में,
देश,धर्म, जाति  पंथ, सब से  संघर्ष है।
.                   👀🌞👀
चैत माह चेत नर, मातु संग हेत कर,
नव  परिवेश संग, आई  नव साल है।

विकास मान देश हो, नवीन परिवेश हो,
चमके जैसे चन्द्रमा, भारती का भाल है।

पास के पड़ौसी देश,रखे खूब मन द्वेष,
पालते आतंककारी, भेदनी  वे चाल हैं।

जवान व किसान के,देश स्वाभिमान के,
दोहे गीत छंद गाता, शर्मा बाबू लाल है।
.                  👀🌞👀

आता नया साल जब, छाए मन रंग तब,
माह चैत्र लगे तब,मौसम सुहाना है।

प्यार प्रेम प्रीत संग,नेह देह दुलार अंग,
आशीषों की कामना,मिलना बहाना है।

सैनिक की सलामती, मौज़ मात भारती,
चैन में किसान रहे,गाना वो तराना है।

हर हाथ काम मिले,हर डाल फूल खिले,
राष्ट्र गीत राष्ट्र गान,हर कंठ गाना है।
.                   👀🌞👀
समय चक्र चले है, सुरीति प्रीत पले है,
गये लौट आए नहीं, कीमत तो जानिए।

बीत गया जो बीतना,जल घट सा रीतना,
वर्तमान साध बस, बात यही मानिए।

आया नव वर्ष यह, चैत्र मने हर्ष यह,
नवरात्रि साधना से, आत्मबल पाइए।

फसले पकी है सारी,शक्तिपुंज जीवधारी,
नए वर्ष नवरात, नवगीत गाइए।
.                   👀🌞👀
बदले सम्वत वर्ष,बीता समय सहर्ष,
घर घर पर्व मने,    मिलके मनाइए।

खीर खाँड पूरी साग,जैसा जैसे मिले भाग,
हँसी खुशी जीम कर,   सबको  जिमाइए।

गले मिलो प्रेम संग,एकता न होवे भंग,
प्रीत रंग घोल कर,   नेह को निभाइए।

दोहा पद गीत छंद  ,  गज़ल बने पसंद,
मीठी वाणी बोल कर ,  सबको  सुनाइए।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

व्यवहार

Thu Apr 4 , 2019
सदा एक रस रहना सीखो गैरो को भी गले लगाना सीखो अपने तो अपने कहलाते है बेगानो को अपना बनाना सीखो अपना वही जो अपने काम आये संकट में साथ खड़ा नजर आये जाति धर्म का यह भेदभाव कैसा इंसानियत बड़ी है नही बड़ा पैसा सबका साथी परमात्मा प्यारा वही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।