न जाने कितने गये,आएँगे फिर से नए,
इंसान बस मनाता, कब से सु वर्ष है।
रीत प्रीत और गीत,शासन व सत्ता नीति,
मानवीय हित साध, अब से सहर्ष है।
आन बान मय शान, देश भक्ति अरमान,
मानवता का सम्मान, जन से उत्कर्ष है।
विकास के भरम में,विज्ञान के चरम में,
देश,धर्म, जाति पंथ, सब से संघर्ष है।
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चैत माह चेत नर, मातु संग हेत कर,
नव परिवेश संग, आई नव साल है।
विकास मान देश हो, नवीन परिवेश हो,
चमके जैसे चन्द्रमा, भारती का भाल है।
पास के पड़ौसी देश,रखे खूब मन द्वेष,
पालते आतंककारी, भेदनी वे चाल हैं।
जवान व किसान के,देश स्वाभिमान के,
दोहे गीत छंद गाता, शर्मा बाबू लाल है।
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आता नया साल जब, छाए मन रंग तब,
माह चैत्र लगे तब,मौसम सुहाना है।
प्यार प्रेम प्रीत संग,नेह देह दुलार अंग,
आशीषों की कामना,मिलना बहाना है।
सैनिक की सलामती, मौज़ मात भारती,
चैन में किसान रहे,गाना वो तराना है।
हर हाथ काम मिले,हर डाल फूल खिले,
राष्ट्र गीत राष्ट्र गान,हर कंठ गाना है।
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समय चक्र चले है, सुरीति प्रीत पले है,
गये लौट आए नहीं, कीमत तो जानिए।
बीत गया जो बीतना,जल घट सा रीतना,
वर्तमान साध बस, बात यही मानिए।
आया नव वर्ष यह, चैत्र मने हर्ष यह,
नवरात्रि साधना से, आत्मबल पाइए।
फसले पकी है सारी,शक्तिपुंज जीवधारी,
नए वर्ष नवरात, नवगीत गाइए।
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बदले सम्वत वर्ष,बीता समय सहर्ष,
घर घर पर्व मने, मिलके मनाइए।
खीर खाँड पूरी साग,जैसा जैसे मिले भाग,
हँसी खुशी जीम कर, सबको जिमाइए।
गले मिलो प्रेम संग,एकता न होवे भंग,
प्रीत रंग घोल कर, नेह को निभाइए।
दोहा पद गीत छंद , गज़ल बने पसंद,
मीठी वाणी बोल कर , सबको सुनाइए।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः