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घर आंगन को जो महकाये,
बिटिया प्यारी रानी है।
बाबुल के बगियाँ की तितली,
मंमी की दीवानी है।।
ठुमक ठुमक कर वो चलती है,
मन की वो मतवाली है।
बेटी है तो दीपक जलते,
घर में रोज दिवाली है।।
घर आंगन को सजा सँवारे,
खुशबू से महकाती है।
पूजा की वो थाल सजाती,
और आरती गाती है।।
भैया के संग प्रेम झगड़ के,
बनती सबकी नानी है।
मात पिता को पता न चलता,
कब हुइ बड़ी सयानी है।।
वर ढूँढे फिर बाबुल प्यारा,
घड़ी बिदाई की आती।
घर आंगन को छोड़़ बेटियाँ,
फिर परदेश चली जाती।
बन जाती वो धुरी गृहों की,
अविचल निश्छल वो नारी।
सास ससुर अरु प्रियतम मन की,
फूल खिली वो फुलवारी।
माँ बनकर के कर्ज उतारे,
जीवन की वो धारा हैं।
घर संस्कृति उन्नत समाज का,
नियम अनोखा प्यारा हैं।
शिक्षा देगें हर बेटी को,
शक्ति अनोखी धारेगी।
पापी नीच नराधम को वो,
चंड़ी बनकर मारेगी।
लहरा कर वो गगन तिरंगा,
महरानी कहलायेगी।
भारत को वो विश्व गुरू कर,
दुनियां में चमकायेगी।।
#सरिता सिंघई ‘कोहिनूर’
परिचय : श्रीमति सरिता सिंघई का उपनाम ‘कोहिनूर’ है। आपका उद्देश्य माँ शारदा की सेवा के ज़रिए राष्ट्र जन में चेतना का प्रसार करना है।उपलब्धि यही है कि,राष्ट्रीय मंच से काव्यपाठ किया है। शिक्षा एम.ए.(राजनीति शास्त्र) है। वर्तमान में मध्यप्रदेश के वारासिवनी बालाघाट में निवास है। जन्म स्थान नरसिंहपुर है। गीत,गज़ल,गीतिका,मुक्तक,दोहा,रोला,सोरठा,रुबाई,सवैया,चौपाईयाँ,कुंडलियाँ ,समस्त छंद,हाइकू,महिया सहित कहानी ,लेख,संस्मरण आदि लगभग समस्त साहित्य विद्या में आप लिखती हैं और कई प्रकाशित भी हैं। आपकी रूचि गायन के साथ ही लेखन,राजनीति, समाजसेवा, वाहन चालन,दुनिया को हंसाना,जी भर के खुद जीना,भारत में चल रही कुव्यवस्थाओं के प्रति चिंतन कर सार्थक दिशा देने में है। पूर्व पार्षद होने के नाते अब भी भाजापा में नगर मंत्री पद पर सक्रिय हैं। अन्य सामाजिक और साहित्यिक संगठनों से भी जुड़ी हुई हैं।
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