*राधा से कान्हा कहे, अब होली के बाद।*
*अब भी अपने देश में, होली है आबाद।*
*होली है आबाद, रिवाजें बहके बदले।*
*प्रीत नेह व्यवहार,लगे मन मानस गदले।*
*शर्मा बाबू लाल, गऊ क्यों लगती बाधा।*
*तरु कदम्ब की छाँव,कहे मुस्काती राधा।*
. *२*
*राधा मुस्काती कहे, सुन लो गोपी नाथ।*
*कहाँ गई वे गोपियाँ,ग्वाल गाय का साथ।*
*गाय ग्वाल का साथ, रहे न मीत मिताई।*
*जन मानवता भूल, हितैषी प्रीत जताई।*
*शर्मा बाबू लाल,मनुज मन ही बस बाधा।*
*होली रह गई याद,कहानी कान्हा – राधा।*
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः