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दिल मेरा धड़कता है ।
आवाज़ एक हीआती है।
नाम तेरा धड़कने सुनाई है।
जो दिल को बहुत भाती है।।
तेरे नाम की गूंज से ।
दिल मे फूल खिलते है।
मुरझाये हुए चेहरे पर ।
हंसी के कमल खिलते है।
क्योकि धड़कनों में तुम जो आते हो।।
तुम न होते तो मेरा क्या होता ?
शयाद मेरा दिल न धड़कता।
एहसास मोहब्बत का न होता।
और मोहब्बत पर में न लिखता।।
मेरे गीतों में जो कसीस होती है।
वो मुझे तुमसे ही मिलती है।
मेरे गीतों की जान तुम हो।
तभी तो मोहब्बत पर हम लिखते है।
इसलिए शुक्रिया अदा तेरा दिलसे करते है।।
चेहरा तेरा जब मुझे दिखता है।
मोहब्बत के गीत वो लिखवता है।
तेरी आँखों का तो कहना क्या।
दिन में ही मदहोश कर देता है।
फिर संजय को, होश कहाँ रहता है।
वो बारबार नाम तेरा ही लेता है।।
लगता है वो तुमसे मोहब्बत करता है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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