विद्यासागर जी की वाणी सुनो।
ज्ञान अमृत का रसपान करो।
ज्ञानसागर जी की दिव्य ध्वनि सुनो।
जैन धर्म का पालन करो।
विद्यासागर जी की वाणी सुनो।।
आज हम सबका यह पुण्य है।
मिला है हमें मनुष्यब जन्म ..।
किये पूर्व में अच्छे कर्म।
इसलिए मिला मनुष्य जन्म।
गुरुवर के मुख्य बिंदु से।
जिनवाणी का ज्ञान प्राप्त करो।।
विद्यासागर जी की वाणी सुनो।
ज्ञान अमृत का रसपान करो।
वीर प्रभु जी की एक छवि।
सदा दिखती है उनमें …. ।
वीर प्रभु के कथनो को।
साकार करने आये धरती पर ।
कलयुग में मिले है हमें ।
सतयुग जैसे गुरु विद्यासागर।।
विद्यासागर जी की वाणी सुनो।
ज्ञान अमृत का रसपान करो।
सदा आगम का अनुसरण करे।
उसके अनुसार ही वो चले … ।
बाल ब्रह्मचारियों को ही।
वो देते है मुनि दीक्षा।
पहले भट्टी में उन्हें तपते है।
सोना बनाकर ही छोड़ते है।।
विद्यासागर जी की वाणी सुनो।
ज्ञान अमृत का रसपान करो।।
गुरुदेव की चरणों मे नामोस्तु
आज गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गुरुदेव आचर्यश्री १०८ विद्यासागर जी के चरणों में संजय जैन (मुम्बई) का भजन समर्पित है।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुंबई )