बेटा पढ़ाओ -संस्कार सिखाओं जैसी मुहिम को पूरे भारत देश में चलाना चाहिए – कवि कृष्ण कुमार सैनी* 

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*सरकार से भी हम यही अनुरोध करते हैं कि “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” के साथ ही “बेटा पढ़ाओ, संस्कार सिखाओं” का नारा भी घोषित करने की कृपा करें*
दौसा(राजस्थान)।
 लक्ष्मणगढ़ के युवा कवि लेखक हरीश शर्मा द्वारा आयोजित *बेटा पढ़ाओ – संस्कार सिखाओं अभियान* पर दौसा राजस्थान के निवासी युवा कवि कृष्ण कुमार सैनी ने अपने विचारों के माध्यम से कहा कि आजकल देखने में आ रहा है कि चाहे सरकार हो , सरकार के कर्मचारी, आम नागरिक हो या कोई अधिकारी, हर कोई बेटी बचाओ का संदेश देश व समाज को दे रहा है।  कोई भी व्यक्ति यह संदेश नहीं दे रहा है कि आप बेटो को भी पढ़ाओ और उन्हें संस्कारवान बनाओ। क्योंकि अगर बेटे संस्कारित नहीं होंगे तो बेटियां कहां से बचेगी कोई इस बात की ओर ध्यान भी नही दे रहे। हम महिलाओं को इतना कमजोर समझते हैं कि हर बात के लिए हम महिलाओं को जिम्मेदार ठहराते हैं ,उन्हें प्रताड़ित करते हैं लेकिन कहीं ना कहीं हमें इस विषय पर जरूर ध्यान देना चाहिए कि अगर बेटे स्वयं शिक्षित व संस्कारित होंगे तो हमारी प्रत्येक पीढ़ी शिक्षित व संस्कारित होगी।  क्योंकि परिवार का मुखिया एक व्यक्ति होता है, वह व्यक्ति अगर शिक्षित व संस्कारित होगा तो अपनी बेटी और बेटे दोनों को संस्कारवान बनाएगा। आज से हमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे के साथ-साथ “बेटा पढ़ाओ- संस्कार सिखाओं” अभियान का नारा भी देना चाहिए क्योंकि महिलाओं के ऊपर भद्दी टिप्पणियां करने वाला एक बेटा होता है ,लड़का होता है। वह चाहे हमारा हो या किसी और का। अगर उसे अच्छे संस्कार मिले होते तो प्रत्येक नारी को अपनी बहन समझता, किसी भी बहन बेटी की इज्जत के साथ खिलवाड़ नहीं करता। हमारी व्यवस्था में कमी है इस विषय पर बहुत अधिक बल देने की आवश्यकता है कि हमें अपनी बेटी के साथ साथ अपने बेटे को भी अच्छे संस्कार देने की आवश्यकता है,क्योंकि हर जगह गलती बेटियों की नहीं होती बेटियां कोमल फूल की सी होती है। उनकी सुरक्षा के लिए हमें हमारे बेटों को चारो तरफ कांटो की भाती खड़े करने पड़ेंगे, पर उसके लिए सबस पहले हमें अपने बेटों को संस्कारित करना पड़ेगा।
अतः मैं तमाम संगठनों ,तमाम राज नेताओं एवं आम जनता से यही अपील करता हूं कि आप जिस मंच पर भी जाए और जिस पर मंच पर आपको बोलने का अधिकार मिले सर्वप्रथम आप के मुख से यही नारा निकलना चाहिए कि “बेटा पढ़ाओ -संस्कार सिखाओं”। आज कहीं ना कहीं समाज में माताओं व बहन बेटियों को वह इज्जत नहीं मिल पा रही जो वास्तव में उन्हें मिलनी चाहिए। उनकी इज्जत के साथ खिलवाड़ हो रहा है। बलात्कार हो रहा है,उनकी हत्याएं हो रही है , बाल विवाह हो रहा है, उन्हें दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसी महिलाओं के साथ बहुत सी समस्याएं हैं , इनमें सती प्रथा, विधवा विवाह, पर्दा प्रथा, भी प्रमुख है। अगर हम अपने बेटों को शिक्षित करेंगे तो वे पढ़ लिखकर उन कुरुतियों का बदला लेने में समर्थ होंगे।  इसलिए इस मुहिम को बहुत ही अच्छे तरीके से राज्य के हर जिले व पूरे भारत देश मे चलाना चाहिए।  सरकार से भी हम यही अनुरोध करते हैं कि “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के साथ ही “बेटा पढ़ाओ, संस्कार सिखाओं” का नारा भी घोषित करने की कृपा करें। और कवि हरीश शर्मा के अभियान को सफल बनाने में सभी अपना अमूल्य योगदान दे।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।