मरीज़ो की कराहे , दर्द की आहें चारो और है,,,
नर्सो और कम्पांउडरो के कदमों की आहटो का शौऱ है,,
देख रहा हुं अस्पताल , जिसका जीवन में अहम दोऱ है,,
कोई मरीज़ खामोश है, कोई चिल्ला रहा है,,
कोई अफरातफरी में डॉक्टर को बुला रहा है,,
मरीज़ व्याकुलता से निहारे, दरवाजे को टकटकी लगाए,,
कोई रिश्तेदार मिलके औपचारिकता निभा रहा है,,
कशमकश में तन्हाई का देखो आलम घनघोर है,,
देख रहा हुं अस्पताल , जिसका जीवन में अहम दोऱ है,,
अनजान लोग एक दूसरे को ढ़ाडस बधांते है,,
बच्चे यहां भी बेफिक्री से शोर मचाते है,,
जिन्हे छुट्टी नही मिली वो निराश है,,
छुट्टी वाले खुशी से घर को निकल जाते है,,
परेशानी, और निरसता से हर कोई बोऱ है,,
देख रहा हुं अस्पताल, जिसका जीवन में अहम दोऱ है,,
दवाईयों की बदबूं है, कही गुलकोस की बोतलें लटकी है,,
किसी का आपरैशन हो चुका , किसी की बिल में जान अटकी है,,
चाय वाला अपने गिलास गिनता है, और मुस्कुराता है,,
कोई नादान यहां भी अपना रोब़ झाड़ता है,,
मुसाफिऱ है जीन्दगी के, अस्पताल एक ठोर है,,
देख रहा हुं अस्पताल, जिसका जीवन में अहम दोऱ है,,
सचिन राणा हीरो
हरिद्वार (उत्तराखंड)