लौ

0 0
Read Time2 Minute, 19 Second
punam katariyar
‌तब मैं प्रौढ़ शिक्षा की कक्षाएं लिया करती थी.अस्वस्थ होने की वजह से,एक महीने के लिए मैंने एक तीस-पैंतीस वर्षीया अशिक्षित-महिला,’श्यामा’ को खाना बनाने रखा था.एक शाम वह जल्दी ही खाना बनाने आ गई,पूछने पर बड़ा सकुचाते हुए उसने बताया कि,वह तीज-त्योहार, शादी-ब्याह के गीत स्वयं जोड़-जोडकर बनाती और गाती है तथा आज उसे मंदिर में भजन गाने जाना है.एक दिन उसने मुझे गाकर सुनाया भी…भाषा की अशुद्धता को नजरंदाज कर दें तो, उसके गीतों में अद्भुत भावाभिव्यंजना थी एवं आवाज तो सुरीली थी ही.मैने उसे प्रौढ़ शिक्षा के लिए कहा तो वह लजा गई…..का दीदी जी,इस उमर में पढ़े
 जायीं, तो लोग का कहियन…अरे पढ़-लिखकर अपनी भाषा सुधार लो तो,तुम किताब भी लिख सकती हो, मैंने हंसकर कह दिया.मेरे स्वस्थ होने तक उसका महीना भी पूरा हो गया. जब मैं उसे रूपयें देने लगी तो वह शरमाते हुए कहने लगी,दीदी जी, हमें पढ़ाओगी?… दृढ़ संकल्प,तीक्ष्ण गाह्य-शक्ति  तथा सबका प्रोत्साहन पाकर श्यामा की भाषा और लेखन में गजब का सुधार हो रहा था.मेरे प्रति कृतज्ञता उसके आंखों में झलकती थी.मुझे भी नारी-शिक्षा एवं प्रौढ़-शिक्षा को अमली-जामा पहनाना संतुष्टि दे रहा था.थोडे दिनों के बाद मेरा तबादला हो गया, बात आई-गई हो गई.आज  पुस्तक-मेले में घूमते हुए, लोकभाषा-साहित्य के स्टाल पर लगी एक पुस्तक के आवरण पर पहचानी-सी तस्वीर को देख कदम ठिठक गए….पहले पृष्ठ पर नजर पड़ते ही आंखें ख़ुशी से भर आईं… आदरणीया दीदी जी को मेरा यह लोकगीत-संग्रह सादर समर्पित…श्यामा-देवी.
‌                                            #पूनम (कतरियार),पटना

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मन की खामोशियाँ

Sat Mar 9 , 2019
मन की खामोशियाँ भी एक अजीब एहसास होती हैं नयन सूखे , होंठ रूखे लेकिन दिल में आँसुओं की बरसात होती है दर्दों में सिमटी हुई मैं ढूंढ नहीं पाती  अपने ही निशाँ जो राह कल तक पहचानी थी वो राह भी अब अनजान लगती है तेरी आँखों का समंदर […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।