महिला दिवस मनाना आवश्यक है 

0 0
Read Time2 Minute, 1 Second
cropped-cropped-finaltry002-1.png
        कोई भी समाज यदि पुरुष प्रधान है तो भी और महिला प्रधान है तो भी, एक दिन उसका पतन हो ही जाएगा। वही समाज आगे बढ़ेगा जो वास्तविक समानता पर आधारित होगा। तब परिवार स्वस्थ संस्थाओं का रूप लेंगे और उज्ज्वल व्यक्तियों के व्यक्ति समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए उपलब्ध होंगे।
            दसवीं शताब्दी के प्रारम्भ होने के समय तक भारतीय समाज का पतन हो चुका था। परिणाम स्वरूप एक हजार वर्ष तक भारतवासियों को तुर्कों, मुगलों और अंग्रेजों की दासता सहनी पड़ी, विकट संघर्ष करने पड़े और 1947 के बाद ही इस समाज ने फिर उठना शुरू किया। संघर्ष काल में महिलाओं की स्थिति और दयनीय हो गई। मध्यकालीन उत्तर भारत में पैर की जूती और स्त्री को एक समान माना जाने लगा। बुराइयों से और बुराइयाँ निकलीं। अशिक्षा, अंधविश्वास, रूढ़ियाँ, परम्पराएँ, यदि बारीकी से देखें तो महिलाओं को ही भुगतना पड़ा।
         1500 साल की खामियाँ सत्तर साल में दूर नहीं हो सकती।आज भी समाज पुरुष प्रधान है। बहुत कम प्रतिशत पुत्री, महिला आदि के महत्व को समझ पाया है। यदि वैदिक युग के सम्मानित स्थान तक पहुँचाना है तो महिला दिवस तो मनाना ही होगा साथ ही बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ जैसे सैकड़ों कार्यक्रम चलाने होंगे ताकि जल्दी से जल्दी स्त्री के प्रति जो समाज का विकृत दृष्टिकोण है वह ठीक हो।
#डा० भारती वर्मा बौड़ाई

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सृजक और सृजन के बीच का सेतु है साहित्य पत्रकारिता

Fri Mar 8 , 2019
समाज से चलने वाले और समाज को चलाने वाले तत्वों का जिक्र करना बिना साहित्य और पत्रकारिता के अधूरा ही माना जाएगा। साहित्य और पत्रकारिता दोनों ही समाज के अंग और संवेदनशील सदस्य है। वस्तुतः दोनों ही समाज के दर्पण है- अन्तर केवल दोनों के कार्यव्यवहार और शैली का है। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।