#अविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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वह सौर्य ध्वज का वाहक
परचम उसे लहराना था।
है अभिनव अमिट नवीन भारत
अभिनंदन को वापस आना ही था।
गीदड़ नाहर को कैसे रोके
आंखों से निकले वो शोला है।
सर पर कफ़न बांध के निकला
पहना बासन्ती चोला है।
है गर्व हमें तेरी वीरता पर,
भारत के सिंह तुम नन्दन हो
गर्वित हिंदुस्तान की माटी
सपूत तुम अभिनंदन हो।
पर घाव अभी भी सूखे नही
जब तक आतंकी जिंदा है।
हाफिज मसूद के सिरों पर
अब लगे फांसी का फंदा है।
टुकड़े वाले गैंग देख लो
भारत का हर जवान अभिनंदन है
जय जय जय हिंद की सेना
गर्वित हैं हम तेरा वन्दन है
ये धरती माटी चन्दन है
हर वीर यहां अभिनन्दन है।
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