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वह स्करैप जैसा था
चाहे जैसा रंग भर दो
परन्तु वह तो
कट्टर अनुशासन में रहा
फिर सीख गया वह
घृणा करना भी
जब था स्वाधीन वह
करता था बहुत प्रेम
आके इस दुनिया में
हो गया”अकेला”वह
#राम बहादुर राय “अकेला”एम.ए.(हिन्दी, इतिहास ,मानवाधिकार एवं कर्तव्य, पत्रकारिता एवं जनसंचार),बी .एड.मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार,बलिया (उत्तर प्रदेश)
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