पतंग की डोर

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rashmi kiran

जाओ स्वतंत्र हो कह दिया

डोर काट दी पतंग की

बोलो ना तुम बिन कैसे वह

गगन रंगेगी अपने रंग की

 

कहां जाएगी तुम बिन बोलो

मंत्र है वह तेरे जादू की

जब से थामा डोर है तुमने

भूल गई वह चाल जहां की

 

देखो जरा उसे तुम मुड़कर

वह तेरा ही तो प्यार है

रहना है बंध कर ही तुमसे

वह तेरे लिए बेक़रार है

 

भटक जाएगी इत-उत समझो

ना डोर कटो पतंग की

बोलो ना तुम बिन कैसे वह

गगन रंगेगी अपने रंग की

 

हर दिन मौसम रहा प्यार का

महफिल भी रहा इकरार का

तन्हाई में भी हर पल तो

साज बजा तेरे हीं साथ का

 

दूर तुम तो हो जाओगे

पर आती रहेगी उसकी सदा

टूट जाओगे मिल ना सकोगे

कर ना सकोगे फिर वादा

 

आओ पास अब तो समझो

ना डोर काटो पतंग की

बोलो ना तुम बिन कैसे वह

गगन रंगेगी अपने रंग की

 

अकेली सी थी पड़ी जमीन पर

तुमने जो उसे थाम लिया

प्यार दिया अपने से बढ़कर

उसकी रातों को भोर किया

 

दिया ना उसके मन का बुझाओ

 दिल उसका तेरा मंदिर है

बोलो ना तुम बिन कैसे वह

गगन रंगेगी अपने रंग की

 

जाओ स्वतंत्र हो कह दिया

डोर काट दी पतंग की

बोलो ना तुम बिन कैसे वह

गगन रंगेगी अपने रंग की

 

परिचय :

नाम :रश्मि किरण
माता का नाम :- श्रीमती आशा पाठक
पिता का नाम :- श्री महेन्द्र नाथ पाठक
पति का नामः- श्री पंकज कुमार
जन्म स्थान :- दरभंगा बिहार
प्रारंभिक /माध्यमिक /उच्च माध्यमिक शिक्षाः- केंद्रिय विद्यालय रामगढ़ कैंट (झारखंड)
उच्च शिक्षा :-रसायन शास्त्र से बीएस (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय)
              बीएड – बेथेसदा टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज राँची (झारखंड)  अन्य :- संगीत में डिप्लोमा (प्रयाग संगीत समिति)

          बीएलआईएस – इग्नू

          एमएससी- भागलपुर

          रेकी – उसुई शिकी रियोहो

           कथक (गुरू आदरणीय प्रेरणा श्रीमाली जी)
कार्य क्षेत्र :- शिक्षक
सामाजिक योगदान में सहभागिता :- नन्ही चौपाल के नाम से ज़रूरतमंद बच्चों की मदद करना
रूचि :- गीत संगीत नृत्य फोटोग्राफी कला और शिल्प
मूल निवास :- रांची (झारखंड)
वर्तमान निवास :- नयी दिल्ली

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।