जाओ स्वतंत्र हो कह दिया
डोर काट दी पतंग की
बोलो ना तुम बिन कैसे वह
गगन रंगेगी अपने रंग की
कहां जाएगी तुम बिन बोलो
मंत्र है वह तेरे जादू की
जब से थामा डोर है तुमने
भूल गई वह चाल जहां की
देखो जरा उसे तुम मुड़कर
वह तेरा ही तो प्यार है
रहना है बंध कर ही तुमसे
वह तेरे लिए बेक़रार है
भटक जाएगी इत-उत समझो
ना डोर कटो पतंग की
बोलो ना तुम बिन कैसे वह
गगन रंगेगी अपने रंग की
हर दिन मौसम रहा प्यार का
महफिल भी रहा इकरार का
तन्हाई में भी हर पल तो
साज बजा तेरे हीं साथ का
दूर तुम तो हो जाओगे
पर आती रहेगी उसकी सदा
टूट जाओगे मिल ना सकोगे
कर ना सकोगे फिर वादा
आओ पास अब तो समझो
ना डोर काटो पतंग की
बोलो ना तुम बिन कैसे वह
गगन रंगेगी अपने रंग की
अकेली सी थी पड़ी जमीन पर
तुमने जो उसे थाम लिया
प्यार दिया अपने से बढ़कर
उसकी रातों को भोर किया
दिया ना उसके मन का बुझाओ
दिल उसका तेरा मंदिर है
बोलो ना तुम बिन कैसे वह
गगन रंगेगी अपने रंग की
जाओ स्वतंत्र हो कह दिया
डोर काट दी पतंग की
बोलो ना तुम बिन कैसे वह
गगन रंगेगी अपने रंग की
परिचय :
नाम :रश्मि किरण
माता का नाम :- श्रीमती आशा पाठक
पिता का नाम :- श्री महेन्द्र नाथ पाठक
पति का नामः- श्री पंकज कुमार
जन्म स्थान :- दरभंगा बिहार
प्रारंभिक /माध्यमिक /उच्च माध्यमिक शिक्षाः- केंद्रिय विद्यालय रामगढ़ कैंट (झारखंड)
उच्च शिक्षा :-रसायन शास्त्र से बीएस (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय)
बीएड – बेथेसदा टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज राँची (झारखंड) अन्य :- संगीत में डिप्लोमा (प्रयाग संगीत समिति)बीएलआईएस – इग्नू
एमएससी- भागलपुर
रेकी – उसुई शिकी रियोहो
कथक (गुरू आदरणीय प्रेरणा श्रीमाली जी)
कार्य क्षेत्र :- शिक्षक
सामाजिक योगदान में सहभागिता :- नन्ही चौपाल के नाम से ज़रूरतमंद बच्चों की मदद करना
रूचि :- गीत संगीत नृत्य फोटोग्राफी कला और शिल्प
मूल निवास :- रांची (झारखंड)
वर्तमान निवास :- नयी दिल्ली