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कैसे कैसे जिन्दगी ने दिन है दिखलाये।
कभी रो दिये हम, कभी मुस्कराये।
इजतराब ऐ शौक हमसे न पूछिये
देखा जो उन्हे,साँस भी न ले पाये।
एहतराम मोहब्बत का करेगें ताउम्र
इससे ज्यादा हमको न आजमाये ।
मरना तो हमको, वैसे भी है यारा
क्यू न हम फिर,तुम पे ही मर जाये।
बातों की मरहम,कम पङ जायेगी
हमने तुमको जख्म जो अपने दिखाये।
#सुरिंदर कौर
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