महामंत्र जोइ जपत महेसु कासी मुकुति हेतु उपदेसु

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राम नाम की महिमा को ब्रह्मांड में दो  लोग ही जानते है एक भगवान शिव तो दूसरे उनके पुत्र गणेश … शिव राम नाम के महामंत्र का जाप केवल काशी में करते है और शिव को यह जाप करते हुए गणेश सुनते है ….इसीलिए काशी में मरने वाले व्यक्ति को स्वर्ग नसीब होता है और देवताओं के रूप में गणेश की इसी वजह से सबसे पहले पूजा होती है …क्योंकि राम की ध्वनि का अर्थ समझने वाले सबसे पहले यही दो लोग थे ….इनके बाद अगर किसी ने राम नाम को समझा तो वह है तुलसीदास …और तुलसी भी काशी में ही राम की महत्ता को भली भांति समझ पाए ….अगर कोई राम को नहीं समझा तो वह केवल आधुनिक युग का मनुष्य …उस मनुष्य का नाम भले ही राम हो या तुलसी ।।
मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जिनका नाम तुलसी राम सिलावट है। मेरी इनसे पहली मुलाकात इंदौर में हुई थी … एक धरने प्रदर्शन के दौरान …इनकी काया से ऐसा आभास हुआ कि यह सही में तुलसी के नाम को सार्थक करते होंगे …बातचीत से भी यही अनुभव हुआ कि इन्हें जीवन के हर झंझावतों की सही समझ है …उस वक्त यह तुलसी हारे हुए उम्मीदवार थे ….लेकिन आज तुलसी राम सिलावट सांवेर से कांग्रेस के विधायक है और प्रदेश में बतौर स्वास्थ्य मंत्री है।।
आज स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट भोपाल के जिला अस्पताल में पहुंचते है …बैगनी शर्ट और काली पेंट पहने हुए …. मैं मंत्री के पहुंचने से दस मिनट पहले पहुंचता हूँ। घड़ी में दो बजकर पैंतीस मिनट हो रहे थे …अस्पताल का गार्ड बोलता है पण्डित जी मंत्री जी आ रहे है। मंत्री जी काफिले के साथ उतरते है और अस्पताल प्रबंधन उनकी अगवानी करता है फिर मंत्री जी अस्पताल के वार्डो का निरीक्षण करते है मरीजो से उनके सेहत का कुशल क्षेम पूछते है और धीरे धीरे मंत्री जी का सीना चौड़ा होने लगता है। मंत्री जी अस्पताल प्रबंधन से कहते है मैं खाना खाऊंगा और पन्द्रह मिनट के बाद मंत्री जी रसोईघर में पहुंचते है और दाल चखते है और संतुष्ट होकर कहते है बहुत बढ़िया दाल है। फिर मंत्री जी चले जाते है और मीडिया से बोलते है कांग्रेस की सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पहले से और बेहतर होंगी। अस्पताल प्रबंधन खुश होता है।।
मंत्री जी आप तुलसी और राम दोनो के नाम को आज खराब कर दिया …आप न तो तुलसी को जान पाए और न ही राम को। अगर आपको अस्पताल देखने का इतना ही शौख है तो एक आम आदमी की तरह अस्पताल में सुबह आठ बजे अपने किसी परिजन का उपचार कराने के लिए आइये फिर अस्पताल की एक नस से आप जब परिचित होंगे तब आपको एहसास होगा कि इस दुनिया में आदमी बनकर पैदा होना दुनिया मे सबसे बड़ा अपराध है और मंत्री बनकर इस दुनिया को मूर्ख बनाना सबसे आसान है।।
#नीतीश मिश्र 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।