पैसा भैया पैसा भाभी।
पैसा है सम्मान की नाभि।।
पैसा से सब मिलता साधो ,
मन चाहा उसे दो नाधि।।
पैसे से प्यार है मिलता ,
पैसा दो ले लो हर लाभी ।।
पैसा है सब सुख की चाभी।।
पैसा नहीं, नहीं कोई पूछे ,
पैसा है मर्दों की मूंछें।
पैसे का तीन है नाम ,
परशा, परशु , परशुराम।।
पैसा पास तो मेला खास ,
वरना है अकेला प्राणी ।।
पैसा है सब सुख की चाभी ।
पैसा ही पहचान बनाता ,
पैसा ही धनवान बनाता ।
पैसा मनुज महान बनाता ,
पैसा ही बलवान बनाता।।
पैसा हो तो पास हो प्रेयसी।
राजा रंक सभी हों राजी।।
पैसा है सब सुख की चाभी ।
पैसा हो तो दास, दासियाँ ,
चलती रहती आगे पीछे ।
सूट बूट सब राजशाही ,
सिर से लेकर पैर के नीचे।।
न्याय न्यायालय तेरे वश में ,
पल में जीतो हारी बाजी ।।
पैसा है सब सुख की चाभी ।।
गलती लाख करो हो पैसा ,
काम भले हो ऐसा वैसा ।
पुलिस दरोगा भी न पूछे ,
लम्बी सलामी दागे दूरे से ।।
आपके लिए रास्ता खाली ,
कष्ट के लिए करिये माफी ।।
पैसा है सब सुख की चाभी ।।
‘भवन’ भारत में पैसे वाले ,
मन के गोरे तन के काले ।
भीख देते जब भिखार को ,
कहते अबे! तबे! व साले?
मदिरालय में पीते मद को ,
करदें कई बोतल को खाली।।
पैसा है सब सुख की चाभी ।
*(दोहा)*
पैसा ही सब कुछ नहीं ,
न स्व शांति सुख मूल ।
पैसे का उत्पत्ति – पतन ,
दायक भव- भय शूल ।।
#रामभवन प्रसाद चौरसियापरिचय : रामभवन प्रसाद चौरसिया का जन्म १९७७ का और जन्म स्थान ग्राम बरगदवा हरैया(जनपद-गोरखपुर) है। कार्यक्षेत्र सरकारी विद्यालय में सहायक अध्यापक का है। आप उत्तरप्रदेश राज्य के क्षेत्र निचलौल (जनपद महराजगंज) में रहते हैं। बीए,बीटीसी और सी.टेट.की शिक्षा ली है। विभिन्न समाचार पत्रों में कविता व पत्र लेखन करते रहे हैं तो वर्तमान में विभिन्न कवि समूहों तथा सोशल मीडिया में कविता-कहानी लिखना जारी है। अगर विधा समझें तो आप समसामयिक घटनाओं ,राष्ट्रवादी व धार्मिक विचारों पर ओजपूर्ण कविता तथा कहानी लेखन में सक्रिय हैं। समाज की स्थानीय पत्रिका में कई कविताएँ प्रकाशित हुई है। आपकी रचनाओं को गुणी-विद्वान कवियों-लेखकों द्वारा सराहा जाना ही अपने लिए बड़ा सम्मान मानते हैं।