कभी सुहानी भोर हो तुम,तो कभी इस थरथराती ठंड में सूरज की किरणों का मेरे देह से स्पर्श कर मेरे अंतर्मन को पहुँचने वाला सुकूँ हो तुम,,,कभी सुरमयी शाम हो तुम,,,तो कभी इन नयनों को शीतलता पहुँचाता वो सागर तट के ओट में छिपा चाँद हो तुम,,,जिसे हृदय बार-बार निहारने आतुर हो उठता है,,, कभी मेरे अधरों में छिपा मौन हो तुम,,,तो कभी इन होंठो से निकलता प्रेम से सराबोर शब्दों का बाण हो तुम,,,कभी मेरे चेहरे की निश्छल मुस्कान हो तुम तो कभी इन चक्षु से छलकता तुम्हारी विरह वेदना में बहता अश्रु हो तुम,,बस मेरे लिये वो हो तुम जिसे बयां करने के लिए मेरे शब्दकोश में शायद शब्द ही नही बचे,,,,वो कही शब्दों के बीच छिपा हुआ गुमनाम सा एहसास हो तुम,,जिसे सिर्फ मैं ही महसूस कर पाउँ,,,जिसे मैंने अपने हृदय में सदा-सदा के लिए बसा लिया है,,, तो आखिर कैसे तुम्हें बताऊं मेरे लिए क्या हो तुम…!!
#निशा रावल
छत्तीसगढ़