लो आ गया बसन्त,
मौसम में आई बहार |
कर्णप्रिय वीणा झंकार ||
लो आ गया बसन्त,
फूल हुठी पीली सरसों |
गोरी का चंचल मन हर्षो ||
लो आ गया बसन्त,
पतझड़ सारा बीत गया |
पुष्प सुगंधित खिल गया ||
लो आ गया बसन्त,
बंद ज्ञान चक्षु खोल |
मलयसमीर अमृतघोल ||
लो आ गया बसन्त,
लेके सद्गुण-सुविचार |
मनाओ खुशी का त्यौहार ||
लो आ गया बसन्त,
साहित्य-कला-संगीत |
साहस – वीरता के गीत ||
लो आ गया बसन्त…
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl