बड़ी मुश्किल घड़ी आई है
आज आपकी विदाई आई है।
मन के भावों को व्यक्त न कर पाऊं
आपसे बिछड़ कर शायद खुश न रह पाऊं
कुदरत का यह बड़ा अजीब नियम
जीवन में आगे बढने से रखना संयम,
आज भावुक होकर रह न जाऊं
तुमसे जुड़े प्यार स्नेह को भूल न पाऊं।
रहोगे सदैव मेरे हृदय पटल पर,
जैसे एक दोस्त सखा रहता दिल पर।
खट्टे मीठे अनुभव साथ ले जाना
जब भी मन करे मिलने आ जाना।
दिल के द्वार रहेंगे खुले सदा,
जब भी आओगे स्वागत करेंगे सदा।
भूल कोई रह गई हो तो क्षमा करना
आपस में मिल कर खुशियां बांट देना।
बड़ी मुश्किल घड़ी आई है
आज आपकी विदाई आई है।
स्वरचित एवं मौलिक।
रेखा पारंगी
बिसलपुर पाली राजस्थान
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