शब्दों से भरी पन्नों की स्याही
कितनी वफादार निकली
“नजर” आती है स्पष्ट
ज्ञान देती है झटपट
होती नही नटखट
स्याही के करिश्में
कितनी मशहूर निकली
शब्दों से भरी पन्नों की स्याही
कितनी वफादार निकली।
गमो का पहाड़ भी थाम लेती है
कलम की सिपाही बनकर
कुछ तो सिख लिया होता स्याही से
जिस में ढल जाय
उसी की सलाहकार निकली
शब्दों से भरी पन्नों की स्याही
कितनी वफादार निकली।
जिनको राह दिखाये
वह उडने लगता है
स्याही के शब्दों को पाकर वो
ज्ञान की सागर कहलाता है
कांटे सी भरी राह भी लाचार निकली
शब्दों से भरी पन्नों की स्याही
कितनी वफादार निकली।
ये अनमोल मोती है
पकड कर चलोगे
कभी न झुकोगे
एक स्याही ही ऐसी है
जिसके आगे पहाड़ भी
शिस झुकाता है
सच कहता हू यारो
इसकी वफा के आगे
सारी वफा लाचार निकली
शब्दों से भरी पन्नों की स्याही
कितनी वफादार निकली।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति