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घर आँगन फुदकती चिड़िया,
मेरे मन को भाती चिड़िया।
सांझ-सबेरे गाती चिड़िया,
नित उठ दाना खाती चिड़िया।
कुल्हड़ पानी पीती चिड़िया,
बेटी मेरी बनती चिड़िया।
फुदक-फुदक के नाच दिखाती,
सबका मन बहलाती चिड़िया।
जंगल प्रतिदिन जाती चिड़िया,
तिनका चुन-चुन लाती चिड़िया।
घर में नीड़ बनाती चिड़िया,
अंडे-बच्चे पाले चिड़िया।
माँ का रोल निभाती चिड़िया,
पंख उठा उड़ जाती चिड़िया।
मेरा मन हर्षाती चिड़िया,
चीं-चीं गीत सुनाती चिड़िया।
हमको रोज जगाती चिड़िया,
बेटी चिड़िया,बहिना चिड़िया..
नन्हीं-मुन्नी रानी चिड़िया।
#डाॅ.दशरथ मसानिया
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बहुत ही सुन्दर
बहुत ही सुंदर रचना