जाति धर्म का नारा देकर,
जनता को उलझाते क्यों हो।
मानवता को ठुकराकर,
दो दिलों को मुरझाते क्यों हो।
राजनीति का भडुवा बनकर,
इस देश में नाच रहे हो,
खड़ा कर दिया मुद्दा तो,
फिर सामने झुझलाते क्यों हो॥
तूने तो परेशानी का सबब,
कुछ दिनों में देख लिया।
बना बडी़ बातें जनता बीच,
अपनी रोटी सेक लिया।
लोकतंत्र में राजतंत्र है,
जनता को जब पता चला,
चार-पांच मुद्दा उझालकर,
लोगों के बीच फेक दिया॥
यही तुम्हारा काम रहा है,
जन मन को सिखलाओगे।
सताया है सदियों से सबको,
आगे भी राह बनाओगे।
यही तुम्हारी कुटनीति,
बन जायेगी सब दुष्टनीति,
हो जायेगा विनाश सब कुछ,
#रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’
परिचय -:
पूर्ण नाम~ रमेश कुमार सिंह
साहित्यिक उपनाम~ ‘रुद्र’
वर्तमान पता~ रोहतास बिहार -८२११०४
स्थाई पता~ कैमूर बिहार -८२११०५
पूर्ण शिक्षा~ डबल एम.ए. अर्थशास्त्र, हिन्दी एवं बी.एड.
कार्यक्षेत्र~ माध्यमिक शिक्षक बिहार सरकार
सामाजिक गतिविधि~ साहित्य सेवा के रुप में – साहित्य लेखन के लिए प्रेरित करना एवं सह सम्पादक “साहित्य धरोहर” अवध-मगध साहित्य मंच (हिन्दी)
“साहित्य सरोज पत्रिका” का प्रदेश प्रभारी (बिहार)
लेखन विधा~ छन्द मुक्त,नई कविता, हाइकु, गद्य लेखन मुख्य रुप से वैसे कुछ छन्दमय रचनाएँ भी करतें हैं
लेखनी का उद्देश्य~ हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार करना, हिन्दी साहित्य की ओर समाज का झुकाव।
सदस्यता/सहयोग निधि~ कई साहित्यिक संस्थाओं में वार्षिक, द्विवार्षिक चार वार्षिक सदस्यता प्राप्त।