संध्या चतुर्वेदीअहमदाबाद, गुजरात
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बहन ही है,
जो रिश्तों को निभाती है,
हो मुसीबत कितनी फिर भी,
भाई के घर मे मुस्कुराती हैं।
समझे कोई पराया या माने अपना,
पर बहना तो प्यार की डोर से बध जाये।।
लगा तिलक शगुन का,
भाई का मस्तक चमकाये।।
जब भी हो कोई शुभ कार्य
भाई के घर,बहना खिंची चली आये।।
जब डोली में आये भाभी ,बहना अर्घ्य बढ़ाये
और जब नन्ही सी किलकारी,
भाई के अंगना में आये।
बहना खपरा (शगुन के कपड़े)भिजवाये।।
बहना सज-धज भाई की खुशियां चमकाये।।
दुनियाँ में सबसे प्यारा रिश्ता
भाई बहन का कहलाये।।
दोनों एक दूजे की खुशियों
के है सच्चे साथी
हर दम साथ निभाये।।
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