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तू अंश नहीं मेरा
फिर भी मेरा वजूद है
सबब है ज़ीने का मेरे
तू मेरा अच्छा नसीब है
जुस्तजू थी मेरी जब तक तुझे न पाया था
तेरे आने पर हर दिन दीवाली सा मनाया था
तू नहीं था जब जीवन में मेरे तब मन में एक अहसास आया था
स्पर्श तेरा होगा कैसा
और उस भाव ने यशोधा माँ बनाया था
और अंधकार रूपी विपदाओं को खदेड़ भगाया था
तू स्वाभिमान ,तू अभिमान, तू है प्रतिबिम्ब मेरा
तू अंश नहीं मेरा
फिर भी मेरा वजूद है ————-
#शालिनी जैन
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