पानी

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devendr soni
हमेशा की तरह ही
त्रस्त हैं लोग
सूखते रिश्तों से
आँखों के घटते पानी से
और
गिरते भू जल स्तर से ।

रिश्ते और पानी जीवन है ।

इनका निरंतर घटते रहना
सिर्फ
घटना ही नही है ,
यह है
हमारी उस प्रवृत्ति का प्रतिफल
जिसने हमे बना दिया है
प्रकृति और रिश्तों के प्रति
उदासीन और लापरवाह ।

भोग तो रहे ही हैं हम
इसका भारी दुष्परिणाम
पर
सबसे ज्यादा भोगेगी इसे
हमारी आने वाली वह पौध
जिसे हमने दे रखीं है
संस्कार विहीन सुविधाएं अंनत
और कर दिया है प्रकृति तथा
परिवार से विलग।

हम खरीदना चाहते हैं
पैसे से हर ख़ुशी
पर क्या करेगा पैसा भी
जब हमारे अपने संस्कारों मे
आँखों में
और धरा में भी
होगा ही नही पानी ।

वक्त अभी भी है
हम करें रक्षा प्रकृत्ति की,
परिवार की और रिश्तों की ।

सिखाएं बच्चों को भी यह
कि रिश्तों की जमीन में भी
रमता है पानी
धरा की ही तरह ।

जिस दिन सीख जाएंगे
उनके साथ ही
हम भी यह सब
रह जाएगा
आँखों में भी पानी
रिश्तों में भी पानी
धरा और अम्बर में भी पानी ।
#देवेंन्द्र सोनी , इटारसी

matruadmin

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