अब तो जागो हे इंसान।
मत बन तू इतना अंजान।
झूठ फरेबी धर्म निरर्थक,
मत पालो अब ये शैतान।।
भ्रम फैलाना छोड़ो “नीर”
अब तुम नहीं रहे नादान।।
रहें दिलों में लग्न शीलता,
अलग रहे अपनी पहचान।।
मन में सच्ची गर भावना,
हर राहों पे दिखे भगवान।।
घृणा,निरादर करना त्यागो,
ये नियत खोट बड़े निशान।।
दूर रहो लोभ,माया मोह से,
करते यही हरदम अपमान।।
शीतल की अविरल धारा पे,
निश्चय ही होते सब अरमान।।
मन में बसा वो रावण मारो,
जो नित फैलाता है अज्ञान।।
ज्ञानी पंडित भले था रावण,
खुद मारा उसको अभिमान।।
बुराई को आज मिटा साथी,
अच्छाई का साक्ष्य प्रमान।।
ज्ञान बाँटने से अच्छा होगा,
तू पहले स्वयं बनों इंसान।।
#नवीन कुमार भट्ट
परिचय :
पूरा नाम-नवीन कुमारभट्ट
उपनाम- “नीर”
वर्तमान पता-ग्राम मझगवाँ पो.सरसवाही
जिला-उमरिया
राज्य- मध्यप्रदेश
विधा-हिंदी