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आज मेरे गाँव की सूरत दिखाने आई हूँ
खोई हुई पहचान से परिचय कराने आई हूँ।
साफ सुथरे गाँव में हरियाली का विस्तार था
प्रेम से रहते सभी अपनत्व का प्रचार था।
गाँव की चौपाल पर ज्ञान की बातें सदा
धर्म भक्ति यज्ञ में विश्वास करते सर्वदा।
दुःख दर्द में तन मन लगा सेवा में तत्पर थे सभी
लोभ लालच ईर्ष्या का भाव देखा न कभी।
घी दूध की नदियाँ यहाँ सदियों से बहती आई हैं
माँ बहन बेटी सदा बेखौफ रहती आई हैं।
गाँव के युवा सदा से हष्ट पुष्ट बलवान थे
शिक्षा और किसानी में निपुण बड़े गुणवान थे।
हर घर से कोई ना कोई सेना में तैनात थे
दया धर्म और मानवता के इनमें भरे जज्बात थे।
लेकिन हाय!तस्वीर पुरानी हो गयी इस गाँव की
पहचान थी सबसे अलग वो खो गयी इस गाँव की।
दूध के रिश्तों का भी अब खून पानी हो गया है
दागकर भाई पे गोली आज भाई भी हैवानी हो गया है।
अश्लीलता, असभ्यता का बहुत प्रचार हो गया है
गाँव का युवा नशे की व्याधियों में फंस गया है ।
घृणा, ईर्ष्या, वैरभाव को जड़ से मिटाने आई हूँ
सोये हुए इस गाँव को फिर से जगाने आई हूँ।
आज मेरे गाँव**********
खोई हुई पहचान *******
उठो जागो नींद से अब लक्ष्य की खेती करो
सींच दो संस्कार सारे ज्ञान की ज्योति भरो।
थाम कर हर हाथ को फिर एकमत होकर बढ़ो
कामयाबी के अनूठे इतिहास नित नूतन गढो।
अल्प लाभ पाने खातिर जो नशा कैंसर बेच रहे
छोड़ दो यह व्यापार वन्दना घुटने अपने टेक रही।
नशा नहीं तुम बेचोगे न बेचने वाला आएगा
उसदिन मेरा गाँव असल में नशा मुक्त बन पाएगा।
बड़ों को कर नमस्कार, मस्तक तिलक लगाओगे
दया,धर्म मन मे रखकर आगे बढ़ते जाओगे।
फैला अँधेरा गाँव में दीया जलाने आई हूँ
सोये हुए इस गाँव को फिर से जगाने आई हूँ
#वन्दना शर्मा
अजमेर(राजस्थान)
मेरा नाम वन्दना शर्मा है मैं अजमेर से हूँ मेरा जन्म स्थान गंडाला अलवर है मेरी शिक्षा हिंदी में स्नातकोत्तर बी एड है मेरे आदर्श मेरे गुरु और माता पिता हैंलेखन और पठन पाठन में मेरी रुचि है नौकरी के लिए प्रयास रत हूँ। मेरी रचनाएँ कई पोर्टल पर प्रकाशित होती हैं मैं कई काव्य समूहों में सक्रिय हूँ । अभी मैं मातृभाषा पोर्टल से जुड़ना चाहती हूँ पोर्टल के नियमों के प्रति प्रतिबद्धता मेरी प्रतिज्ञा है वन्दन
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