प्रदेश की बड़ी पंचायत के चुनाव की तैयारी का बिगुल बजते ही प्रतिष्ठित राजनीतिक पार्टीयों की तैयारी प्रारंभ हो गई । विभिन्न क्षेत्रों से हजारों उम्मीदवारों के आवेदन चुनाव लड़ने के लिए पार्टी कार्यालय में जमा होने लगे थे। पार्टी के वरिष्ठजनों को इन आवेदनों के आधार पर टिकट बांटने थी,लेकिन काम इतना आसान नहीं था। आखिरकार सभी आवेदकों को उनके जिला मुख्यालयों पर बुलाया गया और परीक्षा देने के लिए कहा गया, सभी उम्मीदवार परीक्षा देने को तैयार थे।
एक जिले में पार्टी के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य आधुनिक द्रोणाचार्य के रूप में एक बंद कमरे में एक–एक करके चुनाव लड़ने की इच्छा लिए आए उम्मीदवारों को बुलाने लगे और उनसे सिर्फ एक प्रश्न पूछने लगे-“तुम चुनाव क्यों लड़ना चाहते हो?”
भावी उम्मीदवारों में एक ने कहा– “जनता की सेवा के लिए।“
फिर दूसरे को बुलाया और द्रोणाचार्य ने वही प्रश्न दोहराया
दूसरे ने कहा- “जनता को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए।”
फिर तीसरे, चौथे, पांचवें याने जितने भी उम्मीद लेकर आए थे सभी से एक ही प्रश्न पुछा गया । सबने अपने अपने विवेक का उपयोग कर जवाब दिया जैसे-
तीसरे ने कहा- “सामाजिक भेदभाव खत्म करने के लिए।”
चौथे ने कहा- “अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए।”
पांचवे ने कहा- “भूख, भय और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए।”
छठे ने कहा- “समाजोत्थान व राष्ट्रोत्थान के लिए।”
सातवें ने कहा- “बदमाश और बेईमानों से शहर को मुक्ति दिलाने के लिए।”
आठवें ने कहा- “प्रतिद्वंदी पार्टी के उम्मीदवारों को हराने के लिए।”
इस तरह के जवाब देते हुए जब करीब पच्चीस लोग कमरे से बाहर आ चुके थे। तभी आखरी उम्मीदवार के रूप में शहर समाजसेवी के रूप में पहचान रखने वाले स्पष्ट वक्ता श्रीमान “आधुनिक अर्जुन” कमरे में गए। बंद कमरे में बैठे आधुनिक द्रोण ने उनसे भी यही सवाल किया- “तुम चुनाव क्यों लड़ना चाहते हो?”
श्रीमान “आधुनिक अर्जुन” निर्भीक होकर साथ में लाएं मुद्रा से भरा बेग खोलकर आधुनिक द्रोण के समक्ष रखते हैं और कहते हैं- “गुड खिलाकर शक्कर खाने के लिए।”
यह सुनकर आधुनिक द्रोणाचार्य मुस्कुरा देते हैं और श्रीमान आधुनिक अर्जुन कमरे से बाहर आ जाते हैं। द्रोणाचार्य बने पार्टी के वरिष्ठ पूरी रिपोर्ट बंद कमरे में तैयार करके पार्टी मुख्यालय भेजते हैं। पार्टी अध्यक्ष आगामी चुनाव के लिए श्रीमान आधुनिक अर्जुन को पार्टी का अधिकृत प्रतिनिधि घोषित कर देते हैं। चुनाव होता है श्रीमान आधुनिक अर्जुन गुड बांटकर चुनाव जीत जाते हैं, और महा पंचायत में पहुंचकर शकर खाने में व्यस्त हो जाते हैं। अर्थात सही लक्ष्य साध कर लक्ष्य संसाधन करने लग जाते हैं।
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