मेरी साईकिल चली बाजार।
करता दिल इसका आभार।।
जब चाहो इसको ले जाओ।
अपना जीवन सरस बनाओ।।
कभी न प्रकृति दूषित करता।
लिये सवारी आगे को बढ़ता।।
दादा दादी बाजार जब जाते।
साईकिल अपनें संग ले जाते।।
सड़क न उखड़े जब ये आती।
बिल्कुल कभी नहीं घबराती।।
जब सड़कों पर चलती कार।
मची प्रकृति में पड़े हाहाकार।।
दादी पीछे बैठी कुछ कहती।
जब जब आफत मे है फँसती।।
कुछ लायेगे सब्जी व भाजी।
मत कहना अब नाजी नाजी।।
अब साईकिल खूब चलायें।
अपनें तन स्फूर्ति अब लायें।।
मेरा वाहन सच्चा है साथी ।
हर वाहन में ये सुन्दर नाटी।।
#नवीन कुमार भट्ट
परिचय :
पूरा नाम-नवीन कुमारभट्ट
उपनाम- “नीर”
वर्तमान पता-ग्राम मझगवाँ पो.सरसवाही
जिला-उमरिया
राज्य- मध्यप्रदेश
विधा-हिंदी