हंसते पल में लगते रोने,
प्यारे इनको खेल-खिलौने..
करते सब पर जादू टोने,
ऐसे प्यारे बचपन की..
बात करें हम बचपन की,
प्यारे-न्यारे बचपन की।
गिल्ली-डंडा और कबडडी,
कोई अव्वल कोई फिसडडी..
मोटा-तगड़ा या हो हडडी,
ऐसे अनोखे बचपन की..
बात करें हम बचपन की,
प्यारे न्यारे बचपन की।
जोजफ,जुम्मन और अकीला,
वेश है इनका रंग रंगीला..
गर्म-नम्र और कोई हठीला,
ऐसे अनोखे बचपन की..
बात करें हम बचपन की,
प्यारे-न्यारे बचपन की।
हंसते-गाते पढ़ने जाते,
पढ़ के अपना ज्ञान बढ़ाते..
देश की अपने शाान बढ़ाते,
अच्छे-सच्चे बचपन की..
बात करें हम बचपन की,
प्यारे-न्यारे बचपन की।
#राजबाला ‘धैर्य’
परिचय : राजबाला ‘धैर्य’ पिता रामसिंह आजाद का निवास उत्तर प्रदेश के बरेली में है। 1976 में जन्म के बाद आपने एमए,बीएड सहित बीटीसी और नेट की शिक्षा हासिल की है। आपकी लेखन विधाओं में गीत,गजल,कहानी,मुक्तक आदि हैं। आप विशेष रुप से बाल साहित्य रचती हैं। प्रकाशित कृतियां -‘हे केदार ! सब बेजार, प्रकृति की गाथा’ आपकी हैं तो प्रधान सम्पादक के रुप में बाल पत्रिका से जुड़ी हुई हैं।आप शिक्षक के तौर पर बरेली की गंगानगर कालोनी (उ.प्र.) में कार्यरत हैं।
wah!wah!
Bahut khub kavita hai Rajbala ji
wah!wah!
Bahut khub kavita hai Rajbala ji