हे ! सी•एम•पी•एम• महराज आप को सादर नमन।
मैं एक छोटे से गॉव का एक छोटा सा किसान हूं। मैं अपने बाल -बच्चों को खेती -किसानी से पाल- पोस रहा था, पर इधर एक समस्या से अब मैं घिर गया हूं। जब मैं रात को सोता हूं, तो मुझे अजीब-गरीब सपने आने लगतें हैं। मैं देखता हूं चारो ओर से तमाम गाय- बैल-सॉड मुझे हुडे़स रहे होते हैं। तब मैं परेशान हो जाता हूं। छटपटाता हूं। जोर-जोर से हॉफता हूं । फिर सारी-सारी रात अजीब बेचैनी में नींद नहीं आती है । अजीब उलझन से जोर-जोर से छाती उछलने लगती है। सुबह उठकर जब अपने खेत देखने जाता हूं ,तो देखता हूं वही सपनो वाले गाय-बैल-सॉड सब मेरा खेत चर रहे होतें हैं। मैं इन्हें भगा -भगा कर बहुत तंग हो चुका हूं। अाधा हो चुका हूं। मेरा जीना मुहाल हो चुका है ,पर ये किसी भी कीमत पर भागने को तैयार नहीं। किससे अपनी फरियाद करूं ? कोई सुनने को तैयार नहीं। सभी इन अावारा जानवरों को ईश्वर का आवास बता रहें हैं। मैं क्या करूं हे ! महानुभावों हमारे परिवार का खाना-पीना दूभर हो गया है।
हे ! देश, राज्य और धर्म के रक्षको मेरी तकलीफ दूर करो, वर्ना मैं टोपी वाला धर्म अपनाकर इन्हें मार -मार कर खाने लगूंगा। फिर अाप कहते रहना, इसका साथ ,उसका साथ जनता का विकास।
#सुरेश सौरभ