जिनकी कृपा कटाक्ष से ,प्रज्ञा , बुद्धि , विचार ।
कभी न रुकते साहसी , छाया हो या धूप ।।
छाया हो या धूप , बहुत सी बाधा आयें ।
कभी न बनें अधीर ,नहीं मन में घवरायें ।
‘ठकुरेला’ कविराय , दुखों से कैसा रोना ।
निखरे सहकर कष्ट , आदमी हो या सोना ।।
बुद्धिमान मोती चुने, सीप चुने नादान ।।
सीप चुने नादान,अज्ञ मूंगे पर मरता ।
जिसकी जैसी चाह,इकट्ठा वैसा करता ।
‘ठकुरेला’ कविराय ,सभी खुश इच्छित पाकर ।
हैं मनुष्य के भेद ,एक सा है रत्नाकर ।।
करें अगर अभ्यास तो, सब कुछ है आसान ।।
सब कुछ है आसान, बहे पत्थर से पानी ।
यदि खुद करे प्रयास , मूर्ख बन जाता ज्ञानी ।
‘ठकुरेला’ कविराय , सहज पढ़ जाता तोता ।
कुछ भी नहीं अगम्य, पहुँच में सब कुछ होता ।।
कथनी पर कम ध्यान दे, करनी करते बुद्ध ।।
करनी करते बुद्ध , नया इतिहास रचाते ।
करते नित नव खोज , अमर जग में हो जाते ।
‘ठकुरेला’ कविराय ,सिखातीं सारी पोथी ।
ज्यों ऊसर में बीज , वृथा हैं बातें थोथी ।।
#त्रिलोक सिंह ठकुरेला
पिता —– श्री खमानी सिंहमाता —- श्रीमती देवीप्रकाशित कृतियाँ — 1. नया सवेरा ( बाल साहित्य )2. काव्यगंधा ( कुण्डलिया संग्रह )सम्पादन — 1. आधुनिक हिंदी लघुकथाएँ2. कुण्डलिया छंद के सात हस्ताक्षर3. कुण्डलिया कानन4. कुण्डलिया संचयन5.समसामयिक हिंदी लघुकथाएं6. कुण्डलिया छंद के नये शिखरसम्मान / पुरस्कार — 1. राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा ‘शम्भूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार ‘2. पंजाब कला , साहित्य अकादमी ,जालंधर ( पंजाब ) द्वारा ‘ विशेष अकादमी सम्मान ‘3. विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ , गांधीनगर ( बिहार ) द्वारा ‘विद्या- वाचस्पति’4. हिंदी साहित्य सम्मलेन प्रयाग द्वारा ‘वाग्विदाम्वर सम्मान ‘5. राष्ट्रभाषा स्वाभिमान ट्रस्ट ( भारत ) गाज़ियाबाद द्वारा ‘ बाल साहित्य भूषण ‘6. निराला साहित्य एवं संस्कृति संस्थान , बस्ती ( उ. प्र. ) द्वारा ‘राष्ट्रीय साहित्य गौरव सम्मान’7. हिंदी साहित्य परिषद , खगड़िया ( बिहार ) द्वारा स्वर्ण सम्मान ‘प्रसारण – आकाशवाणी और रेडियो मधुवन से रचनाओं का प्रसारणपाठ्य क्रम में – महाराष्ट्र राज्य की दसवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक ‘हिंदी कुमारभारती’ में दो लघुकथाएँ एवं ‘गुंजन हिंदी पाठमाला – 3 ‘ में काव्य रचना सम्मिलितविशिष्टता — कुण्डलिया छंद के उन्नयन , विकास और पुनर्स्थापना हेतु कृतसंकल्प एवं समर्पितसम्प्रति — उत्तर पश्चिम रेलवे में इंजीनियरआबू रोड ( राजस्थान )