जुल्फ-घनेरी बिखरी-बिखरी
झील सी आँखें नीली-नीली।
नजर हमारी ठहरी-ठहरी
बात तुम्हारी बिखरी-बिखरी।
मन चंचल मचल-मचल
अल्हड़ बनाए डगर-डगर।
ठिठक जाए संभल-संभल
होठ गुलाबी संवर-संवर।
चाल शराबी कमल-कमल
नशीली आदाएँ कहर-कहर।
बात का जादू सफल-सफल
मदहोश करती पहर-पहर।
लो आ गयी गहरी-गहरी
रात निराली ठहरी-ठहरी
चाँद की चाँदनी फैली-फैली
खूबसूरती तुम्हारी निखरी-निखरी
दिदार कर लू दिलवर-दिलवर
न हो जाय जल्दी-जल्दी सवेरा
पास हो तो निराली-निराली
दूर हो तो खाली-खाली।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति