विदाई के क्षणों में 

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kiran mor
धरती का सूरज आज से
आसमान में जगमगाएगा
यहीं रहा है और रहे हमेशा
दिलों से कभी न जायेगा।
एक एक भारतवासी में
वह रहेंगे जिंदा
मौत एक सच्चाई है
सिर्फ तन से सांसे हुईं जुदा।
आसमान में एक अभी था
आज से दो ध्रुव तारे होंगे
अमावस कभी काली घिर जायेगी
दोनों के गठबंधन से उजियारे होंगे।
कभी बुझेगी अब वो मशाल
जलती ही रहेगी अनवरत
जला गये हैं जो युवा मन में
देश की है अब यही जरूरत।
मौत किसी की टलती नहीं
जीने का जज्बा जिंदा हैं
हर एक दिल में रहना भी
मरकर कहलाता जिंदा है।
अमर हो गए जग में वो
तन से परछाई छूट गई
जाकर भी न गये हैं यहीं रहे
हर दिल को उनसे प्रीत भ ई।
   #श्रीमती किरण मोर
परिचय: श्रीमती किरण मोर मध्यप्रदेश के कटनी जिले में रहती हैं। आपकी जन्मतिथि-२५ नवम्बर १९६३ और जन्म स्थान कटनी है। शिक्षा-बी.ए. तथा कार्यक्षेत्र-गृहिणी के साथ ही लेखन कार्य है। सामाजिक क्षेत्र में आप महिला समिति में प्रचार मंत्री हैं। लेखन की विधा-गीत कविता,गजल एवं मुक्तक है। कुछ साझा प्रकाशन आपके नाम हैं। रचनात्मक सहयोग के लिए आप सम्मानित की गई हैं,तो शब्द शक्ति सम्मान भी प्राप्त किया है। आपकी लेखनी का उद्देश्य व्यवस्था और समाज में व्याप्त बुराइयों को लेखनी के माध्यम से दूर करने का प्रयास है। बेटी और नारी पर हो रहे अत्याचार का विरोध भी इसी ज़रिए करती हैं।
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