अब न वो दर्द, न वो दिल, न वो दीवाने हैंअब न वो साज, न वो सोज, न वो गाने हैंसाकी! अब भी यहां तू किसके लिए बैठा हैअब न वो जाम, न वो मय, न वो पैमाने हैं-नीरजक्या कहूँ! निःशब्द हूं।लगभग विचारशून्य-सी।क्या लिखूं।एक नन्ही कलम कैसे लिख पाएगी उस […]

स्त्रियाँ सिर्फ प्रेम होती हैं, अगाध प्रेम, सागर की तलहटी के मानिन्द जिसकी गहराई की, कोई माप नहीं! क्षितिज के आँचल सी सुर्ख, आँखों को लुभाती, आकाश सी विस्तृत, मन को ठन्डक पहुचाती, दशों दिशाओं सी, रिश्तों में गुथीं ! जिसका कोई ओर छोर नहीं ! फूलों सी…महकती, चिड़ियों सी […]

जीवन की संध्या बेला में जब तन के साथ मन भी जर्जर होने लगता है तब तक अपनी संतति भी आजीविका के लिए मजबूर हो अपनी जड़ों से दूर जा बैठती हैं। जिन बच्चों की किलकारियों और चुहलबाजी से घर की ईंटे भी ठहाका मारा करतीं थी आज वहां घुप्प […]

धरती का सूरज आज से आसमान में जगमगाएगा यहीं रहा है और रहे हमेशा दिलों से कभी न जायेगा। एक एक भारतवासी में वह रहेंगे जिंदा मौत एक सच्चाई है सिर्फ तन से सांसे हुईं जुदा। आसमान में एक अभी था आज से दो ध्रुव तारे होंगे अमावस कभी काली […]

जाओ स्वतंत्र हो कह दिया डोर काट दी पतंग की बोलो ना तुम बिन कैसे वह गगन रंगेगी अपने रंग की   कहां जाएगी तुम बिन बोलो मंत्र है वह तेरे जादू की जब से थामा डोर है तुमने भूल गई वह चाल जहां की   देखो जरा उसे तुम […]

रजुआ के बाऊजी बी.ए के फारम कहिया मिलेला। का करब फारम का, दिमाग सठिया गइल का। बाऊजी के समझ से परे था अशिक्षित पत्नी बी.ए के फार्म की बात उस वक्त क्यों कर रही है जब घर के चिराग को बुझे महीना दिन नहीं हुए।       राजू चार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।