जब हम पूरी निष्ठा से काम करते हैं
सुकून सा मिलता है दिल को
अगर कोई कोर कसर रह जाए
तो एक टीस सी उठती है दिल में
प्रसन्नता तब होती है जब वह कार्य
सराहा जाए लोगों के द्वारा
निखार आ जाता है अपने आप मन में
प्रफुल्लित हो खिल उठता है मन अपने ही आप
मगर अक्सर देखा है लोगों को
जब किसी की सराहना ज़्यादा हो जाती है
तो वो भाती नहीं कुछ लोगों को
वो हमारी कर्मठता पे कसते हैं फबतियाँ
सहन नहीं कर पाते किसी को आगे बड़ता देख होती तकलीफ़ उनको
उठाए जाते फिर प्रश्न उनकी निष्ठा पे
हस्तक्षेप होता फिर उनका जारी
मगर वो क्या जाने जो क़ाबिल है वो क़ाबिल ही रहेगा चाहे
चाहे लाख बिछा लो काँटे राह में उनके
जिसे बढ़ना है वो बढ़कर रहेगा
हम ख़ुश हैं हमने जो कार्य किया
पूरी निष्ठा से ,लगन से, प्रेम से किया
एकता के सूत्र में बाँधा लोगों को
पाया प्यार और स्नेह सभी का
अब आगे बढ़ाया है एक क़दम हमने जो अपनी कामयाबी का
अब न रोक पाएगा ज़माना हमें
न रोक पाएँगी किसी की बातें अब
मिलकर किया गया कार्य हमेशा कामयाबी
दिलाता है संगठन में शक्ति होती बहुत
जब साथ हो अच्छे दोस्तों का
विजय तो निश्चित ही होती है
अदिति रूसिया
वारासिवनी