मीत अगर मन का मिल जाये

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satish tiwari

मन की बात कहें क्या प्यारे मन का कोई पता नहीं,
हुए पराये सभी हमारे मन का कोई पता नहीं!
०००
जीवन में कायम हैं अब भी कई तरह के अँधियारे,
ढूँढ़ें हम कैसे उजियारे मन का कोई पता नहीं!
०००
तन्हाई की बात करूँ क्या वो तो परम संगिनी है,
ढूँढ़ें आखिर कहांँ सहारे मन का कोई पता नहीं!
०००
मीत अगर मन का मिल जाए सफल ज़िन्दगी बने सहज,
हों जीवन के वारे-न्यारे मन का कोई पता नही!
०००
रुपया ही आधार नहीं है ‘सरस’ मानता बस सुख का,
कहते यूँ आकाश के तारे मन का कोई पता नहीं!

जीवनवृत

*सतीश तिवारी ‘सरस’

पिता -स्व. श्री सत्यनारायण तिवारी 
जन्मतिथि -26 जनवरी
जन्म स्थान -ग्राम-मोहद,तहसील-करेली,जिला-नरसिंहपुर (म.प्र.)

शिक्षा-एम.ए (समाजशास्त्र,हिन्दी साहित्य),बी.एड्.,बी.सी.जे.,पी.जी.डी.सी.ए.

सम्प्रति-हिन्दी अतिथि शिक्षक (वर्ग-1)
अध्यक्ष,साहित्य सेवा समिति,जिला-नरसिंहपुर/जिलाध्यक्ष,राष्ट्रीय हिन्दी सेवा समिति

प्रकाशित कृतियाँ-(1)हाशिये पर ज़िन्दगी (ग़ज़ल संग्रह),(2)ख़त लिखे जो प्यार के (ग़ज़ल संग्रह)(3)जाने कौन..?(ग़ज़ल संग्रह),(4)नाते निभते नेह से (दोहा-कुण्डलिया संग्रह)

प्रकाशन की राह में- 1.प्रेम पिपासा (गीत संग्रह)
2.सपना (लघुकहानी संग्रह),3.क्योंकि मैं नहीं चाहता (कविता संग्रह),4.तुलसी-सरसांजलि (कुण्डलिया संग्रह)
5.कबीर-सरसांजलि (कुण्डलिया संग्रह)

प्रसारण-आकाशवाणी जबलपुर से रचनायें प्रसारित

सम्पादन-‘अक्षर साधक’ (नरसिंहपुर जिले के91 कवियों का संयुक्त काव्य संग्रह),’प्रवाह'(उभरते सात कवियों का काव्य संग्रह),’प्रेरणा’मासिक (लघु पत्रिका),’प्रवाह’-2′ (9 कवियों का काव्य संग्रह),’भाव-सम्पदा'(‘काव्य अंज़ुमन’ व्हाट्सऐप संदेश पटल का आयोजन,काव्य संग्रह),’काव्य सुधा’ (संयुक्त काव्य संग्रह)

सम्मान-विविध संस्थाओं द्वारा सम्मानित

विशेष-1.वर्ष 1999 में दिल्ली में आयोजित 15 वें दलित साहित्यकार सम्मेलन में दिये जाने वाले डॉ.अम्बेडकर फेलोसिफ़ सम्मान हेतु बुलाया गया था किन्तु किसी कारणवश न पहुँच सके।
2.मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित प्रतिभा खोज प्रतियोगिता के अंतर्गत साहित्य की कविता विधा में ब्लाक,जिला व संभाग स्तर पर चयनित होने के उपरांत 24 फरवरी 2016 को उज्जैन में रखी गयी राज्योत्सव प्रतिभा खोज-2016 में प्रशंसा पत्र व चेक प्रदान कर सम्मानित किया गया।

सम्पर्क सूत्र-नरसिंहपुर (म.प्र.)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।