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जिस द्वार पर लिखा मिले सुस्वागतम्
वही हमारी कुटिया है तुम चले आना ।
घास- पूस से सुसज्जित है
दम्भ द्वेष वहाँ वर्जित है
नाजुक हैं उसकी किवाड़ी
ज़रा प्रेम से धकियाना ।
सौंधी – सौंधी महक मिलेगी
कुछ चिड़ियों की चहक मिलेगी
परम शांति वहाँ हवा में
कुछ शहरों की ओर ले जाना
अतुल बालाघाटी
बालाघाट (मध्यप्रदेश)
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