भारत के शेर

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diptesh tiwari
पूरी घाटी चमक रही थी चाँद सितारे झंडो से।
कश्मीर में हवा चली थी अफजल के ही नारों से।
सेना ने इस बार तमाचा ही जकड़ दिया।
और घर घर जाके अफजल को ही मार दिया।।
अरे निकम्मो कुछ तो शर्म करो।
अपने भीतर झाको कुछ तो हरम करो।
तुमने बेचा अपने ही माँ की छाती को।
अब तो जाके चुल्लू भर पानी मे डूब मरो।
यह देश प्रेम नही इतना सस्ता है।
वीरों का प्राण इसी में बस्ता है।
तुम अफजल के हमराही क्या जानो।
मरने को यहां एक एक वीर तरसता है।
वो फूलों का गुलदस्ता कब का घाटी में मुरझा गया होगा।
चमकता सितारा कब का टूट बिखर गया होगा।
वो मरना फिर से चाहता था अपने देश पर।
लेकिन आस्तीन के सापों को देखा तो फिर सो गया होगा।
मेरा भी मन करता है मैं भी प्रेम कथा का चारण गाऊ।
मैं भी आंखों के झीलों में डूब समंदर हो जाऊं।
‘शहीदों के लासो से निकलता जो आक्रोश मुझे सुनाई देता हैं,
मैं यशगान उन्ही का गाता हु जो मुझे दिखाई देता है।।।।
हिम में खड़े भारत के सिंह जवान हैं,
वो एक एक सैनिक सवा शेर नौजवान हैं,
जिस दिन दौड़ेगा वो माँ भारती का पुत्र,
उस दिन फिर निशाना चीन और पाकिस्तान हैं।
  # ️दिप्तेश तिवारी
परिचय
नाम:-दिप्तेश तिवारी
पिता :-श्री मिथिला प्रसाद तिवारी(पुलिस ऑफिसर)
माता:-श्रीमती कमला तिवारी (गृहणी)
शिक्षा दीक्षा:-अध्यनरत्न 12बी ,स्कूल:-मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल रीवा 
परमानेंट निवास:-सतना (म.प्र)
जन्म स्थल:-अरगट 
प्रकाशित रचनाए:-देश बनाएं,मैं पायल घुँगुरु की रस तान,हैवानियत,यारी,सहमी सी बिटिया,दोस्त,भारत की पहचान आदि।

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One thought on “भारत के शेर

  1. बहुत ही बेहतरीन प्रयास है, अनुज दिप्तेश जी वीर रस से परिपूर्ण ओजभाव से सराबोर शानदार रचना के लिए हृदय तल से बधाई एवं शुभकामनाएँ|

    डॉ० राहुल शुक्ल ‘साहिल’

    इलाहाबाद उ० प्र०

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।