0
0
Read Time44 Second
ऐसे उकेरे हैं मेरे ज़ेहन में अपने नक्शे कदम।
नाम न ले गर साँस तेरा,तो मेरा घुटता है दम।
यूं तो जिंदगी में अब,तेरा साया भी कहीं नही
तुम यही मेरे पास है ,कैसा ये मेरा है भ्रम।
फेर ली जिसने नज़रे आज सरे राह देख कर,
कहते थे लोगो से ,रूको मुखातिब ए जाँ है हम।
एक फरेब तूने किया,सौ फरेब मैने खाये मगर
ये बात दिल की है बस, जिस पे आजाये सनम।
तोङना है तो तोङ ,मुकम्मल रिशता मुझ से
भूल गया है तो,याद न आने का भी कर करम।
#सुरिंदर कौर
Post Views:
363