उन शब्दों को मैं कहाँ से ढूँढ कर लाऊं ,
छः दशक बीते कैसे विचारों को संजोऊं।
स्मृति शेष बन कहाँ खो गए धुधंलको में ,
पहला प्रयास ये, पर आए अश्रु पलकों में ।।
सुनती रही माँ से उनकी कहानियाँ ,
तुम तीनों हो अब उनकी निशानियाँ ।
बचा कर रखूंगी लगे ना बुरी नजरिया,
भगवान की हो रहे बस मेहरबानियाँ ।
दीपावली का दिन, रोशन था सारा जहाँ ,
अमावस ने सारा अंधेरा बिखराया यहाँ ।
उस रात हम सब अकेले स्याह से हो गए ,
तीनों उनींदे से माँ की गोद में सिमट गए ।
भोर के सूरज से हम तो फिर नए हो गए ,
माँ के जीवन में वो पल ग्रहण से समा गए ।
बस वो माता वो ही पिता, ईश्वर भी वो थीं ,
नियति नटी की डोर पर साहस से चलीं थीं ।
चुनौतियों से भरी राहें ,लक्ष्य नए आते गए,
धैर्य समाया हो जहाँ , सब काफूर हो गए ।
नवाँकुर से बढ़ हम पुष्पित,फलित हो गए ,
वक्त के धारों में बह वो पल सागर में खो गए ।।
श्रीमती शोभा शर्मा
शिक्षा ::— बी.ए.–हिन्दी साहित्य , एम. ए.-अर्थशास्त्र – समाजशास्त्र ।
भोपाल (मध्यप्रदेश)
प्रमुख – विधा ::– हिन्दी कविताएँ ,मुक्तक ,क्षणिकाऐं , मुक्त – गीत ।
अन्य विधाऐं ::– आलेख ,लघुकथा ,विभिन्न प्रमुख कवियों के काव्य पर आधारित कविताएँ ,एवं समीक्षात्मक काव्य सृजन ।
अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ ::– मालवी भाषा में ::— गीत – कविताएँ , मालवी भाषा में –“” मालवा वृत्तांत “” किताब ।
बुन्देलखंडी भाषा में ::– गीत ,कविताएँ ।
आकाशवाणी बैतूल में एंकर —
गीत ,कविताओं का प्रसारण ।
आकाशवाणी भोपाल से प्रसारित कविताएँ ।
दूरदर्शन भोपाल में क्षेत्रीय – मालवी भाषा में गीत प्रसारण ।
पुस्तक प्रकाशन : – शीर्षक —“” मालवा – वृत्तांत “”
प्रकाशन वर्ष — 2018