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ख्वाहिशें हम से न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है।
सीना ताने जो अड़े है,
वही बहुत कमजोर हैं।
आज जो बनते फिरे है,
वे शाह पक्के चोर हैं।
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है
ख्वाहिशें सैनिक से पूछो,
जो अब बड़ा बेजार है।
जूझ सीमा पर रहा है,
जो मौत का बाजार है।
राज के आदेश बिन ही,
वह निरा कमजोर है।
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है
ख्वाहिशें कृषकों से पूछो,
सब स्वप्न सुनहलें चूर हैं।
जय किसान के नारे गाते,
कर देते जग मशहूर है।
अन्नदाता के पेट चिपकते,
मनअंतकरण कमजोर है।
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है
ख्वाहिशें बच्चों से पूछो,
छिन रहा बचपन सभी।
रोजगार के सपने बुनते,
लगते न पूरे होत कभी।
आरक्षण है भूल भुलैया,
बेरोजगारी हर भोर है।
ख्वाहिशें हम से न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है
ख्वाहिशें गुरुजन से पूछो,
निज मान व सम्मान की।
संतति हित सब समर्पित,
मगर सहज अरमान की।
मन आत्माएँ जीर्ण होते,
तन व्याधियाँ पुर जोर है।
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है
ख्वाहिशें जनता से पूछो,
वोट के बदले जिलालत।
क्यों चोर सीनाजोर होते,
मँहगाई हो गई कयामत।
देश हित जो भी है चुनते,
सब भ्रष्ट रिश्वत खोर हैं।
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है
ख्वाहिशें बिटिया से पूछो,
जो जनम लगता भार है।
हर कदम बंदिश प्रताड़न,
खतरे ही जीवन सार है।
अगले जन्म बेटी न कीजै,
हर जहाँ यह शोर है।
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहशों का जोर है
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः