सावन

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mukesh rishi varma
रिमझिम – रिमझिम करता सावन आया |
तड़-तड़ करती चमकीली बिजली लाया ||
मोर नाचते, कोयल गाती मीठे-मीठे गान |
बागों में झूले पड़े साथ मल्हारों की तान ||
बिन साजन सजनी तड़पे काली-काली रात |
और ऊपर से बेरिन बनी वो मंद-मंद बरसात ||
टर्र-टर्र मेंढक करें, साँय-साँय करती ठंडी समीर |
रात-रात भर करवट बदले गोरी, नींद कोसों दूर ||
दूर-दूर तक फैली हरियाली, झुक गई अमुआ डाली |
टिप – टिप झरते सावन की ऋतु होती बडी निराली ||
ताल-तलैया भर योवन में लेते मस्त – मस्त हिलोर |
उफान मारते नदियाँ-झरने, चहुंओर दिखे बस नीर ||

#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl  

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