एहसासों के स्पंदन से
भावनाओं के आवेग से
शब्दों के चमत्कार से
ध्वनि की लयात्मकता से
प्रस्फुटन होता है काव्य का
गढ़ जाता है संक्षिप्त में
विस्तार के जज्बों को
घटनाओं के उल्लेख को
समाज की सर्वग्राहिता को
अपने मौन संवादों को
व्यक्त कर जन्म होता है
एक कविता का
शब्दों के निर्झर से झरते झरने
भावनाओं के मखमली एहसासों की
अनंत ऊष्मा का सानिध्य पाकर महक उठती हैं
विचारों की बगिया
जाग जाती हैं अनेक
काल्पनिक सी उत्कंठायें
पा जाती है पूर्णता
दे जाती है पूरसुकून
यादों के समंदर में डूब कर
खुद से ही खुद को
रूबरू करा जाती है कविता
सूत्रपात कर जाती है
एक युग का, एक धारा का,
एक प्रवाह का…
स्मिता जैन
छतरपुर (मध्यप्रदेश)