भ्रूण किया गुहार ऐ माँ बड़ी मिन्नतो के बाद ,
विधाता ने दिया , तेरी कोख मे स्थान ,
माँ मुझे दे वरदान , कृपा कर जीने का ।
क्या तू मुझे देख नहीं सकती ? तो मुझसे क्या.?कोई ममत्व नहीं ,
क्यों….? क्रूर बन ,
करवाती हो भूण हत्या ।
कुछ पता भी है माँ ,
जब ये लोग मुझे , खत्म करने का ,
इंजेक्शन लगाते है ।
तो मैं बहुत झटपटाती हूँ लेकिन ….
उस अंधकार मे मेरे पास कोई बचाने वाला नहीं होता
तू .भी …नहीं माँ ! मै निरअपराध.
#मनोरमा संजय रतलेपरिचय : मनोरमा संजय रतले की जन्मतिथि- १७ मार्च १९७६ और जन्म स्थान-कटनी(मध्यप्रदेश)है। आपने अर्थशास्त्र में एमए की शिक्षा प्राप्त की है। कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है। आपका निवास मध्यप्रदेश के दमोह में ही है।सामाजिक क्षेत्र में सेवा के लिए दमोह में कुछ समितियों से सदस्य के रुप में जुड़ी हुई हैं,तो कुछ की पूर्व अध्यक्ष हैं। लेखन में आपकी विधा-कविता,लघुकथा,लेख तथा मुक्त गीत है। आपकॊ हिन्दी लेखिका संघ दमोह से साहित्य श्री सम्मान,छत्तीसगढ़ से महिमा साहित्य भूषण सम्मान,छत्तीसगढ़ से प्रेरणा साहित्य रत्न सम्मान सहित भोपाल से शब्द शक्ति सम्मान एवं आयरन लेडी ऑफ दमोह से भी सम्मानित किया गया है। विविध पत्रों में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। श्रीमती रतले के लेखन का उद्देश्य-शौक,समाज के लिए कुछ करना और विचारों की क्रांति लाना है।