कौन करेगा जग में
ऐसा
जैसा माँ प्यार….
करती है
बिना स्वार्थ के ..
अपने बच्चे का वो
ख्याल रखती है ।
हो पागल या फिर लूला ,
फिर भी ना वो बदलती है ।
प्राणो से भी बढ़कर ,
बच्चे की सेवा करती है ।
पद प्रतिष्ठा देखकर ,
वो बच्चों में भेद नहीं करती है ।
दिन हो या फिर रात ,
इसकी चिंता नहीं करती है ।
बच्चे का हो बस भला ,
ऐसा सोच सब भूलती है ।
करे बुरा व्यवहार भी बच्चे
तो भी माँ सब सहती है ।
पर अपने मुख से बच्चों को ,
कभी ना बददुआ देती है ।
छोड़ आऐ वो बृद्धाआश्रम तो भी ,
वो संतानसप्तमी रहती है ।
कर ना सके कोई उसका अनिष्ट ,
यही सोच डरती रहती है ।
माँ कभी अपने बच्चों से ,
बदला नहीं लेती है ।
वो तो अपना दूध पिला,
उसको बड़ा करती है ।
खुद करलेगी उसकी बुराई ,
पर किसी से नहीं सुन सकती है ।
अपने बच्चे को अच्छा बनाने ,
जग से भी वो लड़ती है ।
निकल जाऐ तो बदमाश बेटा ,
तो माँ काली का भी रूप रखती है ।
खुद ही सजा देकर वो ,
उसे वो पापों से मुक्त करती है ।
ममता अंधी नहीं होती …..
वो सबका ख्याल रखती है ।
हर बेटा बेटी के
अधिकारो का भी मान रखती है
#मनोरमा संजय रतलेपरिचय : मनोरमा संजय रतले की जन्मतिथि- १७ मार्च १९७६ और जन्म स्थान-कटनी(मध्यप्रदेश)है। आपने अर्थशास्त्र में एमए की शिक्षा प्राप्त की है। कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है। आपका निवास मध्यप्रदेश के दमोह में ही है।सामाजिक क्षेत्र में सेवा के लिए दमोह में कुछ समितियों से सदस्य के रुप में जुड़ी हुई हैं,तो कुछ की पूर्व अध्यक्ष हैं। लेखन में आपकी विधा-कविता,लघुकथा,लेख तथा मुक्त गीत है। आपकॊ हिन्दी लेखिका संघ दमोह से साहित्य श्री सम्मान,छत्तीसगढ़ से महिमा साहित्य भूषण सम्मान,छत्तीसगढ़ से प्रेरणा साहित्य रत्न सम्मान सहित भोपाल से शब्द शक्ति सम्मान एवं आयरन लेडी ऑफ दमोह से भी सम्मानित किया गया है। विविध पत्रों में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। श्रीमती रतले के लेखन का उद्देश्य-शौक,समाज के लिए कुछ करना और विचारों की क्रांति लाना है।