मातृभाषा ने कलाधर्मी इन्दौर की पीड़ा को जिलाधीश तक पहुँचाया

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मातृभाषा ने जिलाधीश इन्दौर को सौंपा आग्रह पत्र

इन्दौर। कोरोना की भयावहता के बाद शहर में समस्त सांस्कृतिक आयोजन होना प्रतिबंधित है और इससे शहर की प्रतिभाओं के सामने आर्थिक संकट खड़ा हुआ है। इसी को ध्यान में रखते हुए मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने इन्दौर जिलाधीश को एक आग्रह पत्र सौंपा, जिसमें जिला कलेक्टर से निवेदन किया गया कि कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए आयोजनों की अनुमति प्रदान की जाए।

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने आग्रह पत्र के माध्यम से निवेदन किया कि ‘इंदौर शहर कलाधर्मियों, मंचीय कवियों और संगीत की राजधानी के रूप में देशभर में विख्यात है। किन्तु विगत दो वर्षों से शहर के हालातों और कोरोना काल के चलते शहर के कलाधर्मी संगीतकार, मंचीय कवि, आयोजक इत्यादि आर्थिक ही नहीं अपितु मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हो चुके हैं।’

ज्ञात हो कि कोरोनाकाल के पहले इस शहर में प्रतिमाह बीस से अधिक संगीत सम्बन्धित आयोजन, कवि सम्मेलन इत्यादि का आयोजन होता ही रहता था। इन आयोजनों से संगीतकारों, कवियों आदि कला और साहित्यधर्मी लोगों की आजीविका भी चलती रहती थी और शहर भी अवसाद मुक्त रहता था। किन्तु विगत दो वर्षों से कोरोना की भयावहता के चलते इस तरह के सभी आयोजन बंद ही हैं। इन आयोजनों के बंद हो जाने से शहर के संगीत, कला और काव्य जगत के लोगों के अलावा कई लोग बेरोज़गार हो चुके हैं। कवि सम्मेलनों के आयोजन नहीं होने से शहर की प्रतिभाएँ भी आर्थिक रूप से संकट में हैं।

डॉ. अर्पण जैन ने बताया कि ‘विगत दिनों जारी कोरोना गाइडलाइन में शहर के शासकीय आयोजन व सिनेमाघरों, होटल आदि को पूर्ण क्षमता के खोल दिया गया है। और वर्तमान में श्रावणमास, स्वतंत्रता दिवस, गणेश चतुर्थी इत्यादि त्यौहार आ रहे हैं और यही समय है जिसमें होने वाले छोटे-बड़े आयोजनों से कलाधर्मी लोगों को काम मिल सकता है और इससे स्वाभिमान के साथ उनकी आर्थिक स्थिति भी पटरी पर आ सकती है अन्यथा आयोजनों के न होने से कला, संगीत एवं कवि सम्मलेन- साहित्य से जुड़े लोगों की स्थिति गंभीर हो जाएगी।

मातृभाषा उन्नयन संस्थान से जुड़े डॉ. नीना जोशी, शिखा जैन, नितेश गुप्ता आदि ने समर्थन करते हुए शहर हित में आयोजनों की अनुमति की माँग की।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।