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विश्व में फहराए पताका,
ऐसी राजधानी चाहिए,
व्यवस्थाओं को जो बदल डाले,
ऐसी जवानी चाहिए।
सत्य हराने को, रिश्वत में जो नोट होता है,
हर नोट पर, ”सत्यमेव जयते”लिखा होता है।
सत्यमेव जयते का अपमान, अब बंद हो,
हर भ्रष्टाचारी के मुंह पर, घोर प्रतिबंध हो।
लिखे काली करतूतों की गाथा,
ऐसी लेखिनी चाहिए,
व्यवस्थाओं को जो बदल डाले,
ऐसी जवानी चाहिए।
पवित्र गंगाजल भी, जब गंदा होने लगे,
जोरों पर, गौकशी का धंधा होने लगे।
भले ही,हमारा युवा, रोजगार को त्रस्त है,
फिर भी, बुक छोड़,
फेसबुक पर मस्त है।
लिखे जो प्रेमिका के किस्से केवल,
ना ऐसी कहानी चाहिए,
व्यवस्थाओं को जो बदल डाले,
ऐसी जवानी चाहिए।
वृद्ध जब अनाथालय में सिसकने लगे,
सत्य जब न्यायालय में तड़पने लगे।
तब हमारी गीता भी आंसू छलकाएगी,
कलयुग की मूरत भी,
जोरों से खिलखिलाएगी।
ऐसे में युवाओं के रुधिर की रवानी चाहिए,
व्यवस्थाओं को जो बदल डाले,
ऐसी जवानी चाहिए।
#अतुल कुमार शर्मा
परिचय:अतुल कुमार शर्मा की जन्मतिथि-१४ सितम्बर १९८२ और जन्म स्थान-सम्भल(उत्तरप्रदेश)हैl आपका वर्तमान निवास सम्भल शहर के शिवाजी चौक में हैl आपने ३ विषयों में एम.ए.(अंग्रेजी,शिक्षाशास्त्र,समाजशास्त्र)किया हैl साथ ही बी.एड.,विशिष्ट बी.टी.सी. और आई.जी.डी.की शिक्षा भी ली हैl निजी शाला(भवानीपुर) में आप प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैंl सामाजिक क्षेत्र में एक संस्था में कोषाध्यक्ष हैं।आपको कविता लिखने का शौक हैl कई पत्रिकाओं में आपकी कविताओं को स्थान दिया गया है। एक समाचार-पत्र द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है। उपलब्धि यही है कि,मासिक पत्रिकाओं में निरंतर लेखन प्रकाशित होता रहता हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को उजागर करना हैl
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