चौथ व्रती बन पूजती, चंदा चौथ चकोर।
आज सुहागिन सब करें,यह उपवास कठोर।
यह उपवास कठोर , पूजती चंदा प्यारा।
पिया जिए सौ साल, अमर अहिवात हमारा।
कहे लाल कविराय, वारती जती सती बन।
अमर रहे तू चाँद, पूजती चौथ व्रती बन।
. 🌙🌙🌙🌙
नारि सुहागिन कर रही,पूजा जप तप ध्यान।
पति की लम्बी आयु हो, खूब बढ़े जग मान।
खूब बढ़े जग मान, करे उपवास तुम्हारा।
मात चौथ सुन अर्ज , रहे संजोग हमारा।
कर सोलह सिंगार, निभाये प्रीत यहाँ दिन।
पति हित सारे काज, करे ये नारि सुहागिन।
. 🌙🌙🌙🌙
चंदा साक्षी बन रहो, पावन प्रेम प्रसंग।
मै पति की प्रणपालिनी, आजीवन प्रियसंग।
आजीवन प्रिय संग, निभे प्रण प्रेम हमारा।
जीवन हो आदर्श, करूँ व्रत सदा तुम्हारा।
कहे लाल कविराय, भाव हो कभी न मंदा।
मात पार्वती पूज, पूजती तुमको चंदा।
. 🌙🌙🌙🌙
गौरा शिव के साथ है, गंग धार शिव केश।
चंद्र छटा शिव शीश पर, हे राकेश महेश।
हे राकेश महेश, आपकी प्रिया मनाऊँ।
गौरी सम अहिवात, कामना मन में पाऊँ।
कहे लाल कविराय, चौथ व्रत करें निहौरा।
पूजन करवा चौथ, भावना पूरित गौरा।
. 🌙🌙🌙🌙
जामाता गिरिराज के, गंग बहिन भरतार।
विघ्न विनाशक के पिता,जनपालक करतार।
जन पालक करतार, सुहागी गौरी माता।
सत्य अमर अहिवात, मुझे भी मिले विधाता।
कहे लाल कविराय, चौथ करवा व्रत दाता।
आज चंद्र की साक्ष्य, सुनों गिरि के जामाता।
आज सुहागिन सब करें,यह उपवास कठोर।
यह उपवास कठोर , पूजती चंदा प्यारा।
पिया जिए सौ साल, अमर अहिवात हमारा।
कहे लाल कविराय, वारती जती सती बन।
अमर रहे तू चाँद, पूजती चौथ व्रती बन।
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नारि सुहागिन कर रही,पूजा जप तप ध्यान।
पति की लम्बी आयु हो, खूब बढ़े जग मान।
खूब बढ़े जग मान, करे उपवास तुम्हारा।
मात चौथ सुन अर्ज , रहे संजोग हमारा।
कर सोलह सिंगार, निभाये प्रीत यहाँ दिन।
पति हित सारे काज, करे ये नारि सुहागिन।
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चंदा साक्षी बन रहो, पावन प्रेम प्रसंग।
मै पति की प्रणपालिनी, आजीवन प्रियसंग।
आजीवन प्रिय संग, निभे प्रण प्रेम हमारा।
जीवन हो आदर्श, करूँ व्रत सदा तुम्हारा।
कहे लाल कविराय, भाव हो कभी न मंदा।
मात पार्वती पूज, पूजती तुमको चंदा।
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गौरा शिव के साथ है, गंग धार शिव केश।
चंद्र छटा शिव शीश पर, हे राकेश महेश।
हे राकेश महेश, आपकी प्रिया मनाऊँ।
गौरी सम अहिवात, कामना मन में पाऊँ।
कहे लाल कविराय, चौथ व्रत करें निहौरा।
पूजन करवा चौथ, भावना पूरित गौरा।
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जामाता गिरिराज के, गंग बहिन भरतार।
विघ्न विनाशक के पिता,जनपालक करतार।
जन पालक करतार, सुहागी गौरी माता।
सत्य अमर अहिवात, मुझे भी मिले विधाता।
कहे लाल कविराय, चौथ करवा व्रत दाता।
आज चंद्र की साक्ष्य, सुनों गिरि के जामाता।
नाम–बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः