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तू है मेरा मन मीत प्रिये,
मैं तेरे ख्वाबों की मलिका।
मिल बैठे यदि हम दोनों,
मिट जाए बस खटका।
तेरे लिए गुनगुनाऊँ गीत प्रिये,
अपनी सूद बुद भूल खड़ी।
चाँद को छत पर अब तकना,
और तेरी बस सूरत ढूंढ रही।
वर्षा की नम हवाएं ,
लाती तेरी याद प्रिये।
अब आ जा मनमीत,
वर्षा ऋतु का दौर प्रिये।
पल पल लागेअब भारी,
दिन दिन लागे साल प्रिये,
अब आ जा निर्मोही बालम,
लागी तुझमें प्रीत प्रिये।
#विपिन कुमार मौर्या
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