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जिन्दगी
कोयले पर जलते
भुट्टे सी है…
जितनी मद्धम आँच मे पकेगी
उतना ही स्वाद देती है…
कुछ विश्वासघात का नमक
और
कुछ चालाकियों का
नींबू मल दो तो
बात और लजीज होगी..
2.
कविता हृदय में
किताबों मे लगे दीमक सी होती है।
जो तब तक कुतरती है
जब तक बाहर न निकाला जाये…
दिलीप वसिष्ठ।
#दिलीप वसिष्ठसिरमौर(हिमाचल प्रदेश)
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